प्रकाश सिंह रावत
रुद्रप्रयाग 01 फरवरी। रुद्रप्रयाग के बच्छणस्यूं क्षेत्र के खल्यां गांव में बीती रात सायं करीब 6ः30 बजे अपने घर के आंगन में खेल रहे 4 वर्षीय बालक आदर्श राणा पुत्र त्रिलोक राणा पर घात लगाए बैठे गुलदार ने अचानक हमला कर दिया। इस दौरान ग्रामीणों के द्वारा शोर किए जाने पर गुलदार भाग खड़ा हुआ,लेकिन हमले में बच्चे के सिर, पैर और हाथ पर गहरे जख्म हुए हैं। घटना के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
जिला पंचायत नरेंद्र बिष्ट ने बताया कि उक्त बालक को घायल अवस्था में जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग में लाया गया जहां चिकित्सकों द्वारा उसका ईलाज किया गया, तथा प्राथमिक उपचार के बाद बालक को छुट्टी दे दी गई है । ग्रामीणों द्वारा ये मांग की गई है कि वन विभाग द्वारा गुलदार को पकड़ने हेतु पिंजरा लगाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
प्रदेश में गुलदार लगाकर महिलाओं, बच्चों या पालतू पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं, मुख्यमंत्री ने पिछले महीने (जनवरी )में इस सम्बन्ध में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अगर अब हमले हुए तो इसके लिए अधिकारियों को जिम्मेवार माना जाएगा । ये आदेश तब आया था जब देहरादून में एक गुलदार ने 12 साल के बच्चे पर हमला कर दिया था , तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाये जाएं और इन इलाकों में रात्रि गश्त बढ़ाई जाए. सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में जिन क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं हो रही हैं. उन क्षेत्रों में वन विभाग को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहना चाहिए और 24 घंटे इन इलाकों में नजर रखी जाए ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी आ सके, तो क्या बैठक के बाद वन विभाग के सचिव आरके सुधांशु और मुख्य वन्य जीव प्रतिपादक समीर सिंह कोई सबक लिया ?
प्रदेश की स्थिति कुछ ऐसी है कि अधिकारी बैठक से निकलकर सभी आदेशों को भूल जाते हैं। हालत ये है कि कई इलाकों में स्कूल कई दिनों तक बंद रहते हैं, डर के मारे गांव के गांव खाली हो रहे हैं। वन विभाग विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में इस समय गुलदारों की अकेली संख्या 3115 है, लेकिन जानकारों की मानें तो यह संख्या इससे कहीं अधिक है।