सुनोली और बौर की कहानी, जनता की ज़ुबानी

पौड़ी/अल्मोड़ा 02 अप्रैल। सुनोली और बौर,अल्मोड़ा और पौड़ी गढ़वाल के दो गांव हैं जहाँ की जनता पिछले 10 सालों साल से अपने सांसदों की राह ताकती रही है , लेकिन निर्दयी सांसद ऐसे निकले कि वो इन गावों को गोद लेने के बाद भूल गए , नतीजन आज वहां की जनता आक्रोशित है।

पहले जिक्र सुनोली गांव का : अल्मोड़ा – पिथौरागढ़ संसदीय सीट से भाजपा के अजय टम्टा दो बार जीत चुके हैं , जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने सुनोली गांव को गोद लिया। सुनोली स्वतंत्रता सेनानी सोबन सिंह जीना का पैतृक गांव है । 10 साल गुजर गए हैं लेकिन सनोली आज भी अपनी मुलभुत सुबिधाओं के लिए तरस रहा है। यहाँ के ग्रामीण कहते हैं कि गांव को गोद लेने के बाद से सांसद अजय टम्टा एक बार भी गांव नहीं पहुंचे समस्याएं सुनना-और समझना तो दूर की बात है।

सड़कें टूटी फूटी हुई हैं, गांव में जानवरों का आतंक है, बेरोजगारी बढ़ गई है, बेरोजगार गांव छोड़कर जा रहे हैं, अगर कोई बीमार हो जाता है तो इलाज के लिए अल्मोड़ा जाना पड़ता हैं , गांव का स्वास्थ्य उपकेंद्र एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है।

बात बौर, की : बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने पौड़ी जिले के दुगड्डा ब्लाक के गैर आबाद गांव बौर को सितंबर 2018 में गोद लिया था यानि लगभग 6 साल पहले। बौर की स्थिति भी कमोवेस सुनोली जैसी ही है। तब अनिल बलूनी ने कहा था कि इस गांव को पुनर्जीवित करने के लिए मूलभूत सुविधाओं बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और रोजगार से जोड़ा जाएगा, लेकिन सोमवार को जब बलूनी इस गांव पहुंचे तो वहां की महिलाओं और खासकर बीजेपी की महिला विंग ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया , उनका कहना था कि गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है, गांव के बच्चे बेरोजगार हैं, पलायन जोरों पर है।सोमवार को जैसे ही अनिल बलूनी गांव पहुंचे स्थानीय जनता ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया और कहा कि रोड नहीं तो वोट नहीं।

 

 

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