ITI के लिए 33 साल तक जमीन नहीं तलाश पाया जिला प्रशासन
राजसत्ता न्यूज़ ब्यूरो
रानीखेत 01 सितम्बर । उत्तराखंड सरकार की निष्क्रियता के चलते 33 साल पुराने चिलियानौला स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) पर आखिरकार ३३ साल बाद ताला जड़ गया है। नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) से मान्यता नहीं मिलने के कारण यह सब हुआ । विद्यार्थियों को अब अल्मोड़ा या फिर हल्द्वानी जाना पड़ रहा है। उत्तराखंड में कुल 165 आईटीआई है , जिनमें 104 को केंद्र की मान्यता है । 72 आईटीआई को राज्य सरकार अपने स्तर पर चला रही थी लेकिन भवन, वर्कशॉप, उपकरण, फैकल्टी समेत अन्य सुविधाएं नहीं होने की वजह से इन 72 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों पर ताला जड़ दिया गया है ।
रानीखेत के चिलियानौला में स्थित आईटीआई को साल 1986 में खोला गया था । स्थानीय छात्रों को क्षेत्र में ही तकनीकी शिक्षा मिलने का उम्मीद थी। संस्थान में इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक, हिंदी आशुलिपि ट्रेड संचालित हुए। उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में मोटर मैकेनिक का प्रशिक्षण बंद हो गया। मशीनें हल्द्वानी आईटीआई में शिफ्ट कर दी गईं।
2007 में हिंदी आशुलिपि, 2013 में इलेट्रोनिक्स ट्रेड भी बंद कर दिए गए । आईटीआई किराए के भवन में संचालित किया गया जिसके चलते आईटीआई को एनसीवीटी से मान्यता नहीं मिल सकी। अब आईटीई को ही बंद कर दिया गया है। जिस कारन कई आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की पढ़ाई छूट गई है। आईटीआई अल्मोड़ा के नोडल प्रधानाचार्य उदय राज सिंह का कहना है कि कुछ साल पहले सरकार के आदेशानुसार आईटीआई केंद्रों के पास एनसीवीटी की मान्यता होना जरूरी था। मानक पूरे नहीं करने पर होने आईटीआई रानीखेत को भी बंद कर दिया गया है। आईटीआई केंद्र के लिए जिला प्रशासन 33 साल में जमीन तलाश नहीं पाया। यदि जमीन मिल जाती और अपना भवन होता शायद ये नौबत नहीं आती।