देहरादून ३० अक्टूबर। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने बीजेपी पर केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में खुलेआम आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया हैं , उन्होंने आरोप लगाया कि संवैधानिक पदों पर बैठे राज्यपाल भी खुलेआम आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए मर्यादाओं को तार-तार कर रहे हैं ।
उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग की केदारनाथ विधानसभा में उपचुनाव गतिमान है तथा विधानसभा क्षेत्र में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है ऐसे में दिनांक 28 अक्टूबर को महामहिम राज्यपाल गुरमीत सिंह द्वारा बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम का एक दिवसीय दौरा किया गया, जिस दौरान उनके द्वारा केदारनाथ धाम में दर्शन के उपरान्त तीर्थ पुरोहितों से मुलाकात की जहां पर स्थानीय अधिकारियों के साथ भी मंत्रणा की गई। यही नहीं अधिकारियों के साथ मंत्राण के दौरान महामहिम राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार द्वारा कराये गए विकास कार्यों पर चर्चा करते हुए सरकार की सराहना की गई, जोकि आदर्श आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि 28 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद महेन्द्र भट्ट व भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम का एक दिवसीय दौरा किया, इस दौरान उन्होंने केदारनाथ धाम में दर्शन के उपरान्त तीर्थ पुरोहितों से मुलाकात की जहां पर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों के साथ मंदिर परिसर में राज्य सरकार द्वारा कराये गए विकास कार्यों पर चर्चा करते हुए तीर्थ पुरोहितों से भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की अपील की गई, जोकि आदर्श आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि चुनाव आयोग को इन मामलों का संज्ञान लेते हुए राज्यपाल के राजनीतिक बयानों एवं कार्यक्रमों पर तत्काल रोक लगाए। इसके साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता के दौरान बैठक में शामिल होने वाले अधिकारियों के खिलाफ आदर्श चुनाव आचार संहिता के नियमों के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। इसके अतिरिक्त, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद महेंद्र भट्ट तथा भाजपा के प्रदेश प्रभारी , दुष्यंत गौतम द्वारा तीर्थ पुरोहितों से भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में की गई अपील के खिलाफ भी आदर्श चुनाव आचार संहिता के नियमों के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि आदर्श आचार संहिता की मर्यादा को अक्षुण्ण रखा जा सके।