अपनी मौत मरते देघाट,भिकियासैंण और रानीखेत के अस्पताल
देघाट /स्याल्दे 28 दिसंबर। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत कहते हैं कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तारीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। वो ये भी कहते है कि प्रदेश में शहरी इलाकों से ज्यादा डॉक्टर पर्वतीय इलाकों में हैं लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। प्रदेश व खासकर अल्मोड़ा जिले की स्वास्थ्य सेवाओं हाल दिन प्रतिदिन बद से बदत्तर होता जा रहा है। ताजा मामला स्याल्दे ब्लॉक के भनेरिया गांव का है जहाँ 23 दिसंबर को एक गर्भवती महिला बसंती (26) अपने पति के साथ देघाट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए पहुंची थी । देघाट में सुबिधाए न होने के कारण अस्पताल की ओर से उसे बताया गया कि अगर लेवर पेन होता है तो महिला को भिकियासैंण स्थित सीएचसी चले जाना । बुधवार यानि 27 दिसंबर को महिला को दर्द शुरू हुआ तो वे महिला को घर से दूर 30 किमी भिकियासैंण सीएचसी पहुंचे। यहां महिला के पति को बताया गया कि विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं।
जिसके बात महिला को भिकियासैंण से लगभग 55 किमी दूर रानीखेत के गोविंद सिंह माहरा राजकीय चिकित्सालय भेज दिया गया। रानीखेत अस्पताल में जांच हुई तो बताया गया कि बच्चा पेट में टेढ़ा हो गया है, लेकिन हमारे पास ऑपरेशन थिएटर नहीं है, और ब्लड बैंक भी यहाँ से दूर है। ऐसे में आप महिला को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी ले जाओ, तब तक महिला की हालत बेहद खराब हो गई थी। महिला के पति भर्ती करने की बहुत कोशिस की, लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई।
आखिरकार थकहार कर महिला के पति ने निराश होकर किराये का वाहन किया और पत्नी को लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए चल पड़ा। शाम लगभग छह बजे के आसपास ज्योलीकोट के आसपास महिला को दर्द बढ़ा तो वाहन को रोककर कार में ही प्रसव कराया गया । इसके बाद सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचकर दोनों को भर्ती कराया गया । अस्पताल की ओर से बताया गया है कि अस्पताल में जच्चा-बच्चा दोनों ठीक हैं।
यह पहला अवसर नहीं है जब जिले में इस प्रकार का वाकया सामने आया हो , इससे पहले बागेश्वर की कबिता जोशी के साथ भी कुछ इसी तरह का वाकया हुआ जब उसे बागेश्वर से अल्मोड़ा बेस अस्पताल रेफेर किया गया, लेकिन अल्मोड़ा अस्पताल ने डॉक्टर का रोना रोते हुए उसे हल्द्वानी के लिए रेफेर कर दिया मजबूर होकर पति दीपक जोशी को उसे एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाना पड़ा , जहाँ सामान्य डिलीवरी के बाद जच्चा बच्चा को छुट्टी दे दी गई।