नैनीताल 13 मार्च। उत्तराखंड सरकार द्वार सड़क चौड़ीकरण के नाम पर एलीफेंट कॉरिडोर को ख़त्म करने की मनसा पर नैनीताल हाई कोर्ट ने पानी फेर दिया है। हाईकोर्ट ने देहरादून निवासी रीनू पाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऋषिकेश और भानियावाला के बीच प्रस्तावित 3300 पेड़ों के कटान पर रोक लगा दी है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने की ।
याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी ने कोर्ट में बताया कि सरकार का सड़क चौड़ीकरण प्रस्ताव एलीफेंट कॉरिडोर के बीचों बीच से गुजरता है जिसे पहले ही हाईकोर्ट ने एलीफेंट रिजर्व के लिए संरक्षित किया हुआ है । सरकार की ओर से दलील दी गई कि कि हाथियों की आवाजाही को सुनिश्चित किया जा रहा है।
खंडपीठ ने सुनवाई के बाद पेड़ों के कटान पर रोक लगाते हुए सरकार से सभी आवश्यक अनुमतियों को कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है। साथ ही, याचिकाकर्ता को यह भी निर्देश दिया कि वह गूगल इमेज के यह स्पष्ट करें कि कॉरिडोर सड़क के किस किस हिस्से से गुजरता है। कोर्ट ने कहा, ‘यदि कॉरिडोर से कोई सड़क गुजरती है, तो सरकार के वकील, उन्हें फ्लाईओवर बनाने की सलाह दें, क्योंकि इसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता ।’
नेगी ने कहा कि शिवालिक एलिफेंट रिजर्व अधिसूचित है और इसके अंदर भानियावाला-ऋषिकेश खंड है, जहां सरकार ने 3,300 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव दिया है। नेगी ने कहा, ‘इससे पहले, सरकार रिजर्व में देहरादून हवाई अड्डे का विस्तार करना चाहती थी, लेकिन इस अदालत ने हस्तक्षेप किया और विस्तार पर रोक लगा दी क्योंकि भारत सरकार ने याचिकाकर्ता का समर्थन किया था और अपने हलफनामे में कहा था कि यह हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है।’
उन्होंने कहा कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना रिजर्व में आठवें, नौवें और दसवें कॉरिडोर को प्रभावित करेगी। नेगी ने कहा कि यह परियोजना तीन वन रेंजों मोतीचूर, बड़कोट और ऋषिकेश में आती है। बड़कोट और ऋषिकेश के कुछ हिस्से एलिफेंट कॉरिडोर के रूप में अधिसूचित हैं। जब चीफ जस्टिस ने पूछा कि परियोजना किस चरण में है, तो याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि राज्य ने काटे जाने वाले पेड़ों को चिह्नित कर लिया है। इसपर पीठ ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई भी पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए।