बोलेरो दुर्घटना के बाद पुलिस – प्रशासन की कार्य प्रणाली पर उठे सवाल

प्रकाश सिंह रावत

रूद्रप्रयाग। केदारनाथ के गौरीकुंड सटल में लगे बोलेरो वाहन आज दुर्घटना का शिकार हो गया। जिसमें 14 लोग सवार थे। हालांकि एसडीआरएफ और डीडीआरएफ ने सभी का रेस्क्यू कर अस्पताल भेज दिया है लेकिन बड़ी हैरान और परेशान करने वाली बात यह है कि 8 से 9 सवारी क्षमता वाली बोलेरे वाहन में 14 लोग ठूंसेे गये। लेकिन आखिर पुलिस प्रशासन कहाँ सोया हुआ था। लोक जीवन को खतरे में डालने वाले वाहन चालकों पर आखिर क्यों पुलिस और परिवहन विभाग नकेल नहीं कस रहा है यह भी बड़ा सवाल है।

एक तरफ कुदरत की नाराजगी और प्रकृति की विभिषीका ने केदारघाटी के साथ ही देश दुनिया के तीर्थ यात्रियों को गहरे घाव दिये हैं तो हमारा सिस्टम इन घावों को और कुरेदने का काम कर रहा है। सोनप्रयाग गौरीकुंड में आज हुए हादसे ने कम से कम व्यवस्था की नाकामी की पोल तो खोल दी है।

यह पहली गाडी नहीं है बल्कि सोनप्रयाग गौरीकुंड सटल सेवा में लगे प्रत्येक वाहन में इसी तरह ओवरलोडिंग की जाती है लेकिन इस पर पुलिस और परिवहन विभाग आँख मूँदे हैं। पुलिस प्रशासन की इस लापरवाही के कारण आज 14 लोगों का जीवन बाल बाल बच गया है लेकिन महकमें की लापरवाही हर रोज हजारों तीर्थ यात्रियों की जिंदगी को दांव पर लगाये रहती है। गौरीकुंड में हुई घटना प्रथम दृष्टितय: ओवरलोडिंग के चलते ही हुई है जिसकी जिम्मेदार पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग है।

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