अल्मोड़ा /दुगड्डा /जसपुर/रुद्रप्रयाग 25 अप्रैल। उत्तराखंड में गुलदार का आतंक रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है , हाल ये है कि विगत 24 घंटों के अंदर अलग घटनाओं में गुलदार ने जानवरों को चराने वाली दो महिलाओं, एक पुरुष पर हमला किया। जबकि जसपुर में पानी की तलाश में एक गुलदार घर में ही घुस गया। पहली घटना अल्मोड़ा जिले के पोखरी गांव में घटी जहाँ भागुली देवी पत्नी राजेंद्र सिंह घर से महज 100 मीटर की दूरी पर अपनी गाय चरा रही थी तभी गुलदार ने उनपर हमला कर दिया। भागुली देवी ने हिम्मत नहीं हारी और गुलदार का सामना किया, चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे तब जाकर गुलदार वहां से भाग खड़ा हुआ। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहाँ वे खतरे से बाहर हैं।
दूसरे मामला पौड़ी के दुगड्डा इलाके से सामने आया है जहाँ आमसौड़ गांव में बकरी चराकर घर लौट रही अनीता देवी (45) पत्नी श्यामलाल पर गुलदार ने हमला कर दिया । महिला ने अपने को बचाते हुए गुलदार पर दराती से प्रहार किया और शोर मचाना शुरू कर दिया, जिसके बाद गुलदार डरकर मौके से भाग गया। जिसके बाद घायल महिला को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुगड्डा ले जाया गया।
तीसरा मामला जसपुर के ग्रामीण इलाके से सामने आया है जहाँ गुलदार एक घर में घुस गया। घर में मौजूद बच्चों ने तेंदुए को कमरे में कैद कर लिया। तेंदुआ कैद होने की सूचना पाकर मौके पर वन विभाग की टीम और ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। वन विभाग की टीम तेंदुए को रेस्क्यू कर अपने साथ ले गई।
चौथा मामला रुद्रप्रयाग के बच्छणस्यूं क्षेत्र से सामने आया है जहाँ नौखू गांव का अनिल पुत्र बीरेंद्र सिंह (उम्र 35 वर्ष) शादी समारोह में गया था लेकिन लौटा नहीं गुरुवार को उसके लाश झाड़ियों में मिली। . पोस्टमार्टम रिपोर्ट मौत का कारण जानवर का हमला बताया गया है यह जानवर गुलदार था या कोई अन्य, इसको लेकर भी वन विभाग विभागीय स्तर पर जांच कर रहा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले साल कहा था कि अगर जंगली जानवर के हमले में इंसान मारा गया, तो अफसरों पर की जवाबदेही होगी तय होगी, जिसके बाद कई लोगों की जान गुलदार ने ली लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी की जवाबदेही तय नहीं हो सकी। इस साल फ़रवरी में मुख्यमंत्री ने सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर गम्भीर चिंता प्रकट की थी है। उन्होंने गुलदार और बाघों के हमले की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वन सचिव एवं वन्यजीव प्रतिपालक को प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे लेकिन नतीजे देहरादून की फाइलों तक ही सीमित रहे । मुख्यमंत्री ने ये भी कहा था कि प्रभावित क्षेत्रों में विभाग को चौबीसों घंटे अलर्ट मोड पर रखा जाए।