कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन, जिसे कोर्ट ने निलंबित किया, उसे तीसरे दिन उसे थाने में नियुक्ति कैसे दी गई?
देहरादून 30 दिसंबर। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने धामी सरकार पर निवेशकों के साथ अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड को लेकर चौतरफा हमला बोला है। महारा ने कहा कि एक तरफ तो धामी सरकार उत्तराखंड में निवेशकों को लाने के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रही है,तो दूसरी तरफ पहले से निवेश कर चुके उद्योगपतियों का जमकर उत्पीड़न ,दोहन और शोषण हो रहा है।
उन्होंने रामनगर के रिसोर्ट मलिक का मामला उठाते हुए कहा कि रामनगर में आधी रात को एक रिसॉर्ट मलिक के रिसोर्ट पर पुलिस द्वारा धर पकड़ और रात भर रिजॉर्ट मालिक और उसके मैनेजर को कैद में सिर्फ इसलिए रखा गया क्योंकि रिसोर्ट मलिक ने पुलिस अधिकारियों द्वारा कमरे मांगे जाने पर इनकार कर दिया था।इससे गुस्साए पुलिस इंस्पेक्टर अरुण सैनी और सब इंस्पेक्टर प्रकाश चंद्र पोखरियाल ने न सिर्फ रिजॉर्ट मालिक और मैनेजर को रात भर थाने में गिरफ्तार रखा बल्कि फर्जी धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया ।
रिजॉर्ट मालिक इस उत्पीड़न के खिलाफ जब न्यायलय पंहुचा तो न्यायालय ने याचिका कर्ता को बरी करते हुए पुलिस इंस्पेक्टर अरुण सैनी को निलंबित कर दिया। महारा ने कहा की हैरत की बात है निलंबन के मात्र तीन दिन के अंदर न सिर्फ अरुण सैनी बहाल कर दिए गए बल्कि जिस थाने से निलंबित किए गए थे उसी थाने में पुनर्नियुक्ति दे दी गई। महारा के अनुसार 16 दिसंबर को पुलिस इंस्पेक्टर अरुण सैनी को न्यायालय द्वारा निलंबित किया गया था इंस्पेक्टर की इतने कम समय में बहाली और उसी थाने में पुनर नियुक्ति एक तरफ जहां न्यायालय की अवमानना है वहीं दूसरी ओर याचिका करता के लिए अपमानित करने वाला फैसला।
महारा ने बताया कि इस मामले में न्यायालय ने भी पुलिस प्रशासन पर तल्ख और तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि उक्त पुलिस इंस्पेक्टर की बहाली इतनी ही जरूरी थी तो उसका स्थानांतरण प्रदेश के किसी दूरस्थ स्थान में किया जाना चाहिए था, उसे रिजॉर्ट के इर्द-गिर्द के थाने में पुनर्नियुक्त संदेहास्पद है और स्वच्छ कानून व्यवस्था कायम करने में अवरोधक साबित होगी। महारा ने कहा यह हल केवल रामनगर का ही नहीं पूरे प्रदेश का है । धामी सरकार नए निवेशकों को तो लुभाना और रिझाना चाहती है पर पहले से जो निवेशक यहां हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में निवेश कर चुके हैं वह आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं।