सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ को सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार

नई दिल्ली । 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में टिहरी-ऋषिकेश की बेटी सृष्टि लखेड़ा की निर्देशित फिल्म ‘एक था गांव’ को सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म के पुरस्कार के लिए चुना गया है। उत्तराखंड के पलायन की पीड़ा पर बनी फिल्म में बताया गया है कि जिस गांव में पहले 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। लोगों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं। 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू।

सृष्टि लखेड़ा की यह फिल्म गढ़वाली व हिंदी भाषा में बनी है। मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के सेमला गांव कीर्तिनगर निवासी सृष्टि लखेड़ा के पिता डा. केएन लखेड़ा ऋषिकेश के जानेमाने बाल रोग विशेषज्ञ हैं। 35 वर्षीय सृष्टि लाखेड़ा की प्राथमिक शिक्षा ऋषिकेश के ओंकारानंद स्कूल से हुई है।

सृष्टि ने मिरांडा हाउस नई दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक तथा एवरग्रीन यूनिवर्सिटी ओलंपिया वॉशिंगटन स्टेट से मास्टर की डिग्री हासिल की। एक वर्ष पूर्व उनका विवाह अमिथ सुरेंद्रन से हुआ है। अमिथ सुरेंद्रन प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर हैं, जो कई चर्चित वेब सीरीज के लिए कम कर चुके हैं। सृष्टि लखेड़ा की मां कुमुद लाखेड़ा ग्रहणी हैं, सृष्टि के बड़े भाई सिद्धार्थ लाखेड़ा दिल्ली में अपना व्यवसाय करते हैं। 69वें नेशनल अवार्ड की जूरी ने गुरुवार सायं पुरस्कारों का ऐलान किया। इस वर्ष सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार ‘रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट’ को दिया गया है। जबकि सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार सृष्टि लखेड़ा की निर्देशित ‘एक था गांव’ को दिया गया है। ‘

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *