ऐसे स्कूलों में कैसे बनेगा बच्चों का भविष्य? बदहाल शिक्षा व्यवस्था बनी पलायन की वजह
अल्मोड़ा 02 दिसंबर । उत्तराखंड में प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा तो छोड़िये पहले इन दो स्कूलों की हालत देख लीजिये . अल्मोड़ा के स्याल्दे विकासखंड के आदर्श राजकीय प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय कलिया लिंगुड़ जर्जर स्थिति में बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींचते हैं ।

अब नया मामला रानीखेत के ताड़ीखेत क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कारचूली, ख्यूशालकोट सहित कई विद्यालयों की बदहाल स्थिति भी सामने आ रही है, जिसे देखकर कोई भी दंग रह जाएगा। टूटी दीवारें, जर्जर कक्षाएं, बैठने की समुचित व्यवस्था तक नहीं, ऐसे हालातों में बच्चों के भविष्य की कल्पना भी दर्दनाक लगती है। सवाल उठता है कि जब गांवों के स्कूल ही इस अवस्था में हों तो पहाड़ों से हो रहा पलायन आखिर कैसे रुके।
अल्मोड़ा जिले में 1196 प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमें अधिकांश में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। कई स्कूलों में शौचालय, पानी की व्यवस्था ठीक नहीं है। बारिश के दिनों में कमरे पानी टपकने से उपयोग में ही नहीं आ पाते। कारचूली, ख्यूशालकोट जैसे कई विद्यालयों में छात्र संख्या घटने की सबसे बड़ी वजह यही बदहाली है।
जिले के कई स्कूलों में तो स्थिति और भी गंभीर है। शिक्षक को विभागीय बैठकों में जाना हो या किसी कारणवश वह स्कूल से अनुपस्थित हो तब बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद नहीं रहती। परिणामस्वरूप पढ़ाई पूरी तरह ठप हो जाती है। लगातार इस तरह की बाधाएं अभिभावकों को यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि बच्चों का भविष्य गांवों में सुरक्षित नहीं है।
विद्यालयों के सुधार कार्यों की सूचना उच्चाधिकारियों को भेजी गई है। साथ ही समय-समय पर रिक्त पदों की जानकारी भी विभाग को भेजी जाती है ताकि नियुक्तियों की प्रक्रिया समय पर आगे बढ़ सके।
-शिक्षा अधिकारी ताड़ीखेत हरेंद्र साह