देहरादून 30 अगस्त। कार्बेट के पाखरो रेंज घोटाले में विजिलेंस की जांच अब पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत तक पहुँच गई है। विजिलेंस विभाग की एक टीम ने शंकरपुर में हरक सिंह रावत के बेटे के मेडिकल कॉलेज पर विजिलेंस की टीम ने छापा मारा है।हरक सिंह रावत तक पहली बार विजिलेंस जांच की आंच पहुंची है। राजनीतिक गलियारों में भी कार्रवाई चर्चा का विषय बनी है। मामले में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में पिछले साल मुकदमा दर्ज किया गया था। डायरेक्टर विजिलेंस वी मुरुगेशन ने मामले की पुष्टि की।
क्या है मामला ?
जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरों रेंज के 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी बननी थी। 2019 में इसका निर्माण कार्य बिना वित्तीय स्वीकृत्ति के शुरू कर दिया गया। पेड़ काटने व अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया था। जिसमें अनियमितताएं सामने आई।
पाखरों रेंज में 215 करोड़ के कामों की समीक्षा की जा चुकी है। अभिलेखों का भौतिक सत्यापन व कर्मचारियों के बयान दर्ज करने पर पता चला कि टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था। जिसे कमिशन व अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया। अभी तक हुए निर्माण कार्य किसी काम आने वाले नहीं हैं।
मामले में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग व कालागढ़ के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को निलंबित किया गया था। दोनों अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तब कार्बेट टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध किया गया था। प्रकरण की विभागीय और विजिलेंस जांच में कदम-कदम पर अनियमितता की पुष्टि हुई थी। इस बीच सीईसी ने भी प्रकरण का संज्ञान लिया। साथ ही शासन से रिपोर्ट मांगी। जिसके बाद सीईसी ने संस्तुतियों के साथ अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी ।