राज्यपाल की सहमति के बाद अब राज्य आन्दोलनकारियों को मिलेगा 10 % आरक्षण

देहरादून 18 अगस्त। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आन्दोलनकारियों के लिए सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की व्यवस्था से संबंधित विधेयक को प्रदेश के राज्यपाल ले.ज. से.नि. गुरमीत सिंह द्वारा स्वीकृति प्रदान किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने राज्यपाल का आभार भी व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के संघर्ष और बलिदान को कभी भूल नहीं सकती। राज्य आन्दोलनकारी हमारे लिए सदैव सम्मानीय रहे है। हमारी सरकार उनकी सुविधाओं को शीर्ष प्राथमिकता देती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य आन्दोलनकारियों एवं उनके सभी आश्रित पात्रों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था तथा इसका विधेयक विधानसभा में पारित कर राज्यपाल जी को भेजा गया था, जिसपर उन्होंने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। इससे राज्य आन्दोलनकारियों की एक बड़ी लम्बित मांग की भी पूर्ति हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य आन्दोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने के साथ ही राज्य आन्दोलनकारियों की मृत्यु के पश्चात् उनके आश्रितों को भी पेंशन देने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों का उत्तराखण्ड बनाने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।

गौरतलब है की एनडी तिवारी सरकार ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश जारी किया था। इसके लिए दो प्रावधान रखे गए थे पहला आरक्षण के अंतर्गत समूह ग और घ के लिए बिना परीक्षा के सीधे नियुक्ति थी। इसके लिए शर्त थी कि कम से कम सात दिन जेल में रहे हों या घायल हुए हों। दूसरा सात दिन से कम की जेल या घायल इनके लिए राज्याधीन सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। इस शासनादेश के बाद करीब 1,700 कर्मचारी, आंदोलनकारी कोटे से नौकरी मिली लेकिन 2018 में हाईकोर्ट ने इस शासनादेश को रद्द कर दिया था।

धामी सर्कार ने इस विधेयक को आठ सितंबर 2023 को सदन में पेश किया,फरवरी 2024 में चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक 2023 संशोधन के साथ पारित किया गया था। जिसके बाद सरकार ने फरवरी 2024 में सरकार ने प्रवर समिति की सिफारिशों को मानते हुए विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ राजभवन भेजा, था जिसके बाद वह राज्यपाल के ऑफिस में लटका हुआ था।

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