धरातल से कोसों दूर है मुख्यमंत्री की महिला सतत् आजीविका योजना- गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून 15 सितम्बर। राज्य की महिलाओं को सशक्त बनाने के दिशा में कार्य कर रही सरकार की योजना पर एनजीओ द्वारा पलीता लगाया जा रहा, ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।विभाग ने जून 2025 में संबंधित NGO को नोटिस भी जारी किया था । दसौनी ने साक्ष्यों के साथ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस के समक्ष बात रखते हुए कहा कि मामला दून के रायपुर और मालदेवता क्षेत्र का है, जिससे मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजना सवालों के घेरे में है। दसौनी ने कहा कि योजना में गड़बड़झाले का अंदेशा जताया जा रहा है, महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए शुरू की गई इस योजना में ट्रेनिंग देने के कई साल बाद भी लाभार्थियों को 50 हजार रुपए अनुदान अब तक नहीं मिल पाया है,यही कारण है कि गत तीन वर्षों से पात्र महिलाएं अनुदान के लिए महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग व संबंधित एनजीओ के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। जबकि, विभाग का कहना है कि पैसा एनजीओ को दे दिया गया है।

गरिमा ने कहा कि बाकायदा इसको लेकर रिमांडर तक भेजा जा चुका है, ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अनुदान का लाखों रुपए गया कहां?जबकि विभाग द्वारा एनजीओ को भी नोटिस जारी किया गया, लेकिन एनजीओ की हठधर्मिता की हद है कि नोटिस मिलने के बाद भी मामला वहीं का वहीं अटका हुआ है। दसौनी ने कहा कि अब सवाल यह उठता है कि इस तरह से कैसे सरकार महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ कर सशक्त बनायेगी, जबकि संस्था के कारण क्षेत्र की महिलायें प्रशिक्षण के बाद भी खाली हाथ हैं, जिससे सरकार की महिला सशक्तिकरण की योजना पर पलीता लगता नजर आ रहा है l कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अब जबकि महिलाओं को अभी तक परिसम्पत्ति नहीं दी गयी, ऐसे में सवाल यह लाजिमी है कि 1.26 करोड़ रूपये क्या संस्था विभाग को ब्याज सहित वापिस करेगी, तो फिर इतने दिन सरकारी योजना का धन संस्था के बैंक खाते पड़ा रहना भी कहीं न कहीं गड़बड़ झाला लगता है, वहीं यह भी सवाल उठता है कि सरकार की महत्वपूर्ण योजना का तीन-तीन, चार-चार साल में भी लाभ नहीं मिल पाएगा तो महिलाओं की आजीविका कैसे सुधर पाएगी ?

गरिमा ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद भी 300 महिलाओं को अभी तक नहीं मिली परिसम्पत्ति

मामला दून जिले के रायपुर ब्लाक का है, जहां लाभार्थी महिलाओं को मुख्यमंत्री सतत् आजीविका योजना के तहत 50 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाना है. दून शहर से लगे रायपुर ब्लॉक के बजेत, सिरकी, रामनगर डांडा, मीडावाला, दुधियावाला व डांडी क्षेत्रों में करीब 300 महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी गई. जिनका अनुदान करीब 1.26 करोड़ रुपए बैठता है, यह तो एक ब्लाक के कुछ गावों का मामला है l यह पैसा देहरादून की संस्था को दिया गया लेकिन संस्था ने अभी तक लाभार्थियों को सामग्री वितरण नहीं की, जबकि विभाग ने महिलाओं को प्रशिक्षण के लिये मार्च 2022 में रु. 3,84,120.00 दिये, जो संस्था के पीएनबी ईसी रोड़ खाते और प्रशिक्षण के बाद परिसंपित्त वितरण के लिये भी एक करोड़ 26 लाख रूपया इसी खाते में गया, अब जिसका नोटिस विभाग द्वारा जून 2025 में भेजा गया है, यहां गौरतलब बात यह है कि विभाग द्वारा भेजे गये नोटिस के दो माह से भी अधिक समय बीत गया पर संस्था के पदाधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी, सूत्र बताते हैं कि इस संस्था का मददगार विधानसभा में बैठा एक अधिकारी है, जिसका संस्था में पूरा हस्तक्षेप हैं ल

विभाग से मिली आरटीआई के जवाब में सबसे गौरतलब बात यह निकल कर आयी कि विभाग के साथ हुये इस योजना के अनुबंध में नियमानुसार संस्था के अध्यक्ष या सचिव के ही हस्ताक्षर होने चाहिये, लेकिन यहां पर भी गोलमाल है और संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर के द्वारा अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गये, अगर सही तरीके से जांच की जाय तो इस संस्था के बैंक खाते में भी झोल है, दूसरी तरफ विभाग ने नोटिस जारी करके अपना पल्ला झाड लिया, ख़ास बात यह है कि योजना के तहत दून के रायपुर और मालदेवता आदि क्षेत्रों की महिलाओं को स्वरोजगार तहत डेयरी व मधुमक्खी पालन कराया जाना था, इसके लिए सरकार की ओर से चयनित एनजीओ को काम सौंपा गया था, इसके तहत एनजीओ ने वर्ष 2022 में चयनित महिला पात्रों को ट्रेनिंग भी दी, इसके बाद मालदेवता क्षेत्र में डेयरी पालन के लिए 100 महिलाओं और थानों क्षेत्र की 200 महिलाओं से मधुमक्खी पालन कराया जाना था. लेकिन, ट्रेनिंग के 3 साल बाद भी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई l

25-25 महिलाओं का बनाया गया था समूह :
योजना के मुताबिक ट्रेनिंग के लिए एनजीओ की ओर से 25-25 महिलाओं का समूह बनाकर 2022 में एक सप्ताह से लेकर एक महीने तक की ट्रेनिंग दी गई. लेकिन, अभी तक गाय खरीदने के लिए धनराशि नहीं मिल पाई. ऐसे में अब कई लाभार्थी आरोप लगा रही हैं कि या तो विभागीय अधिकारी झूठ बोल रहे हैं या फिर एनजीओ गोलमाल कर रहा है. बावजूद इसके अभी भी लाभार्थी धनराशि मिलने को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं l
वहीं उत्तराखंड मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजना के तहत इस संस्था के साथ साथ अन्य 9 एनजीओ को 22 अप्रैल 2025 को राज्य परियोजना अधिकारी मोहित चौधरी की ओर पत्र जारी किया गया. जिसमें लाभार्थियों को दिए जाने वाले अनुदान के बावत स्थलीय जांच निरीक्षण रिपोर्ट मांगी गयी थी l

संस्था ने यह परिसम्पत्ति करनी थी वितरण :

-बी कीपिग (मधुमक्खी पालन) :
03 बी बॉक्स बी काॕलनी के साथ, हनी हार्वेस्टिंग सेफॕटी किट (बी वाॕल, सेफ्टी ग्लाब्स, ब्रश), वैक्स शीट, 03 बी बाॕक्स आदि

-डेयरी मैनेजमेंट :
01 क्राॕस ब्रीड गाय ( जर्सी/क्राॕस ब्रीड), गाय हालिस्टन फिजन,वैप कटर, फीडिंड टब, पशुचारा आदि

ट्रेनिंग हुई, कुछ नहीं मिला :

वहीं एनजीओ की ओर से क्षेत्र की महिलाओं को मार्च 2022 में ट्रेनिंग दी गई, लेकिन आज तक न तो गाय दी गई और न हीं मधुमक्खी पालन ही शुरू कराया गया है, पैसा उपलब्ध कराया जाता, तो लाभार्थी खुद ही पशु खरीद लेती, यदि योजना का तीन-तीन चार-चार साल बाद भी लाभ न मिले, तो उसका औचित्य क्या है. कई महिलाओं ने अनुदान के चक्कर में गाय नहीं खरीदी, उनका बहुत नुकसान हो रहा है. बैजत, मालदेवता, अस्थल, शेरकी, रामनगर डांडा आदि अन्य गांवों की महिलाओं का कहना है कि सरकार गंभीरता से योजनाओं का संचालन करे, केवल नाम के लिए योजनाएं चलाकर महिलाओं का शोषण न किया जाए ल

वहीं लाभर्थियों को अनुदान के बदले विभाग की ओर से गाय व मधुमक्खी खरीदने की बात भी सामने आ रही है, किस नश्ल की गाय दी जाएगी इसका भी लाभार्थियों को ट्रेनिंग के दौरान कोई जानकारी नहीं दी गई है. कुल मिलाकर पूरी योजना में पूरी तरह झोल ही झोल नजर आए रहा है, यह भी बताया जा रहा है की योजना के क्रियान्वयन में गाइडलाइन का उल्लंघन किया जा रहा है. इससे योजना की पारदर्शिता भी सवालों के घेरे में है l

योजना की पात्रता व लाभ :

-लाभार्थी निराश्रित, विधवा व निर्बल वर्ग से होनी चाहिये
– महिला की उम्र 18 वर्ष से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
– उत्तराखंड राज्य की मूल निवासी होनी चाहिए.
-लाभार्थी किसी अन्य योजना से सामान व्यवसाय से लाभान्वित नहीं होनी चाहिए.
– पात्र महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
– चयनित महिलाओं को ट्रेनिंग अवधि के दौरान 1000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी.
– ट्रेनिंग पूरी होने के बाद लाभार्थियों को 50 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा।

गरिमा ने कहा कि यह घोटाला राज्य सरकार और शासन में बैठे हुए अधिकारियों की गठजोड़ का उदाहरण है की किस तरह से जनकल्याणकारी योजनाओं को बट्टा लगाया जा रहा है और योजनाएं केवल विकास पुस्तकों में शोभा बढ़ा रही हैं गरिमा ने कहा कि इस तरह की कार्यप्रणाली निश्चित रूप से प्रदेश के लिए घातक है और भ्रष्टाचार का नया नमूना। दसोनी ने मुख्यमंत्री धामी से अपेक्षा की है कि वह महिला सशक्तिकरण और सम्मान की बातें केवल मंच से करने की बजाय इन योजनाओं की धरातलीय सच्चाई जानने का व्यक्तिगत रूप से प्रयास करेंगे और उचित कार्यवाही करेंगे।

 

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