गड्ढ़ा मुक्त सड़कों का सपना, ‘न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी’

पहले मंत्री, फिर तंत्री और अब मुख्यमंत्री

देहरादून। मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक बयान सामने आया, जिसमे उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं कि 30 नवम्बर तक सड़को को पूर्ण रूप से गड्ढा मुक्त बनाया जाय। यानि मात्र 9 दिन में प्रदेश सड़कें चकाचक होने जा रही हैं,खबर अच्छी है लेकिन कुछ कुछ इसी तरह का दावा पहले प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री ने मार्च 2023 में किया, उसके बाद उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सितम्बर 2023 में किया , लेकिन नतीजा निकला जीरो, अब गड्ढ़ा मुक्त सड़कों के झुनझुने को मुख्यमंत्री ने पकड़ लिया है कुल मिलाकर ‘न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी’। साबित ये होता है कि न तो लोक निर्माण विभाग पर मंत्री का हुकम चलता है और न ही प्रदेश की अपर मुख्य सचिव का , देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुख्यमंत्री अपने वादे पर खरा उतरते हैं या नहीं ?

इससे पहले मार्च 2023 में प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेशवासियों को गड्ढ़ा मुक्त एक नया ऐप दिया था लेकिन वो ऐप किस गड्ढे में घुस गया उसका आज तक पता नहीं चल पाया है। दावा किया गया कि. इस ऐप से कोई भी व्यक्ति अपने आसपास सड़कों पर पाए जाने वाले गड्ढों की फोटो खींचकर पूरी जानकारी के साथ अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायतकर्ता को ऐप के माध्यम से दर्ज शिकायत पर हुई कार्रवाई के विषय में चित्र सहित जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी। लेकिन डबल इंजन वाली धाकड़ सरकार का ब्रेक कहाँ फेल हुआ किसी को पता नहीं लगा, बस मीटिंग मीटिंग चलती रही ।

देखना ये है की मुख्यमंत्री की इस अपील का अधिकारियों पर क्या असर पड़ता है। प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार मानसून काल में प्रदेश को आपदा से 1417.51 करोड़ का नुकसान हुआ था । कई जगह सड़कें क्षतिग्रस्त हुई और पुल टूट गए। सवाल ये है कि क्या सरकार इस स्थिति में है कि करोड़ों रुपये सड़क पर लगा सके ?

नवंबर 30 में अब मात्र 9 दिन का समय बचा है, क्या संभव है कि जो सड़कें गड्ढ़ा मुक्त होंगी वो गुणवत्ता पर खरी उतरेंगी ? और अगर हाँ तो उसका पैमाना क्या होगा, मसलन प्रदेश के पर्वर्तीय इलाकों के कई जगहों पर पाला पड़ने लगा है, वहां अगर गड्ढ़ा पट दिया जाता है तो क्या गारंटी है कि यह काम स्थाई होगा ? हाँ इस बहाने ठेकेदारों, कुछ जनता के चुने हुए लोगों व व्यूरोक्रेसी के भ्रस्ट लोगों के पेट जरूर भर जायेंगे। एक चीज और स्मार्ट सिटी देहरादून का ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए चकाचक होना जरुरी है , हो सकता है कि देहरादून को ही पूरा उत्तराखंड मान लिया जाय और प्रदेश गड्ढ़ा मुक्त हो जाय।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *