देहरादून। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सामने आई प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितताओं को लेकर वित्त विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है।अपर सचिव डॉ० अहमद इकबाल ने सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग को सूचना देते हुए कहा है कि आयुर्वेद विवि में हुई सभी वित्तीय अनियमितताओं पर की गई कार्रवाई का विस्तृत विवरण एक सप्ताह के भीतर शासन को उपलब्ध कराया जाएगा।
अपर सचिव डॉ० अहमद इकबाल द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि बित्त वर्ष 2023-24 से अब तक विश्वविद्यालय को लगभग ₹125 करोड़ की धनराशि कुछ शर्तों के तहत इस उम्मीद में जारी की गई थी कि विश्वविद्यालय वित्त विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्रवाई करेगा, किंतु अब तक दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई है।
वित्त विभाग ने कुल 12 बिंदुओं पर विस्तृत आख्या मांगी है। इनमें नियमविरुद्ध वित्तीय लाभ प्राप्त करने वालों से वसूली, अनुशासनात्मक कार्रवाई, अनियमित नियुक्तियों और पदोन्नतियों, गलत वेतन निर्धारण की समीक्षा, विशेष ऑडिट की स्थिति, और सीएजी रिपोर्ट में उजागर अनियमितताओं पर की गई कार्यवाही का विवरण शामिल है।
विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि निर्धारित समय में सूचना उपलब्ध न कराने की स्थिति में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के किसी भी वित्तीय प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाएगा। इसके लिए सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय प्रशासन, कुलपति एवं कुलसचिव का होगा।