शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट ,हजारों श्रद्धालु रहे मौजूद

बदरीनाथ 25 नवंबर। भू-बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट देव पूजा के लिए शीतकाल के लिए मंगलवार दोपहर ठीक दो बजकर 56 मिनट पर बंद हो गए हैं। बदरीनाथ धाम में रावल द्वारा लक्ष्मी मां को गर्भ गृह में स्थापित कर घृत कंबल ओढ़ाया। इससे पहले सोमवार को बदरीनाथ मंदिर में पंच पूजाओं के तहत माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का आयोजन किया गया। बदरीनाथ के मुख्य पुजारी अमरनाथ नंबूदरी ने माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने के लिए आमंत्रण दिया। इस साल यात्रा सीजन में करीब 16 लाख 55 हजार श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे। वहीं, 26 नवंबर को उद्धव जी, कुबेर जी व शंकराचार्य जी की गद्दी डोली पांडुकेश्वर पहुंचेगी।

आज मंगलवार को 2 बजकर 56 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान जय बदरीविशाल की जयकारों से धाम गूंज उठा। हजारों श्रद्धालु कपाट बंद होने के मौके पर मौजूद रहे। मंदिर को करीब दस क्विंटल फूलों से सजाया गया है। 21 नवंबर से बदरीनाथ धाम में पंच पूजाएं शुरू हो गई थीं। गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर व आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट बंद होने के बाद मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन भी बंद हो गया है। सोमवार को माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजाएं आयोजित की गईं।

रावल (मुख्य पुजारी) ने माता लक्ष्मी मंदिर में जाकर उन्हें बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने के लिए आमंत्रण दिया। बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद छह माह तक माता लक्ष्मी मंदिर परिक्रमा स्थल पर स्थित मंदिर में विराजमान रहती हैं।कपाट बंद होने के मौके पर बदरीनाथ मंदिर को करीब दस क्विंटल फूलों से सजाया गया है। कपाट बंद होने के मौके पर बदरीनाथ मंदिर में हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।

 

 

 

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