राकेश डंडरियाल
4 जुलाई 2021 को तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया, विधानसभा चुनाव हुए, पार्टी प्रचंड बहुमत से जीत गई, लेकिन धामी हार गए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए बीजेपी विधायक कैलाश गहतोड़ी ने चंपावत सीट से इस्तीफा दिया, चुनाव हुआ और धामी जीतकर देहरादून पहुंचे , और 23 मार्च 2022 को पुष्कर सिंह धामी दोबारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने।
शनिवार को धामी सरकार ने अपने 3 साल पूरे कर लिए हैं। धामी का दावा है कि इन तीन सालों में उन्होंने उत्तराखंड में विकास की गंगा बहा दी है, और अब दावा है कि भ्रष्टाचार,और अतिक्रमण पर प्रहार जारी रहेगा , मगर तीन साल में जो मुख्यमंत्री ने कहा ऐसा कुछ दिखा नहीं। गणेश जोशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला लटका हुआ है,और सरकार को जांच से डर लग रही है । धामी सरकार विजिलेंस कोर्ट को मुकदमा दर्ज करने की अनुमति तक नहीं दे रहा है। और रहा उद्यान विभाग वाला बवेजा वो आज भी छुट्टा घूम रहा है।
CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि किस प्रकार से उत्तराखंड में फॉरेस्ट कंजर्वेशन फंड का इस्तेमाल आई फोन और लैपटॉप खरीदने में किया गया। सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए हुई परीक्षा में धांधली वाले हाकम सिंह को कौन नहीं जनता। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की गंभीरता इस बात से झलकती है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जनता से सरकार गठन के 100 दिन में लोकायुक्त बनाने का वादा किया था। लेकिन 7 साल से अधिक का समय गुजर जाने के बाद भी लोकायुक्त का कुछ अता-पता नहीं है, अलबत्ता 30 करोड़ रुपये खर्च जरूर हो गए हैं । उत्तराखंड हाईकोर्ट भी 100 दिन के अंदर लोकायुक्त की नियुक्ति का आदेश दे चुकी हैं लेकिन सरकार सन्नाटे में है।
एक बात को देखकर प्रसन्ननता है कि राज्य में धार्मिक पर्यटन , व पर्यटन खूब फल फूल रहा है,चारधाम यात्रा खूब फूल फल रही है, रुद्रप्रयाग , चमोली , नैनीताल पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा , बागेश्वर, पिथौरागढ़ देहरादून इलाकों में पर्यटन व धार्मिक पर्यटन खूब फूल फल रहा है। इसका श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका पहाड़ के प्रति अगाध प्रेम। जिस कारण पर्यटन के कई रिकॉर्ड विगत तीन साल में टूटे हैं। प्रधानमंत्री की ही पहल पर हाउस ऑफ हिमालयन ब्रांड बना, जिसे मुख्यमंत्री ने आगे बढ़ाया।
मुख्यमंत्री धामी पहाड़ से हो रहे पलायन को रोक पाने में असमर्थ हो रहे हैं , सबसे ज्यादा पलायन अगर हो रहा है तो वो है पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा से। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में सख्त भू-कानून लागू किया है लेकिन वो कितना सफल होगा अगले 2 साल इसके साक्षी होंगे।
मातृ शक्ति को जहाँ सरकारी नौकरी में 30% आरक्षण देकर धामी ने वाहवाही लूटी, तो दूसरी तरफ महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाओं में लगातार बृद्धि को रोकने में वे असफल रहे, अंकिता भंडारी हत्याकांड हो या खुद भाजपा नेताओं से जुड़े रेप- बलात्कार के मामले हो , वो चंपावत में बीजेपी नेता पर लगे रेप का आरोप हो या टिहरी में युवती से रेप के प्रयास का मामला हो , सल्ट बीजेपी का नेता हो या नैनीताल दूध संघ का अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा हो,इन सब मामलों ने मुख्यमंत्री के तीन साल के कार्यकाल पर धब्बा लगाया , लेकिन मुख्यमंत्री इन मामलों में ख़ास कुछ नहीं कर पाए।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ होना बाकी है,पहाड़ी इलाकों में बदहाल स्वास्थ्य सुविधा और डॉक्टरों की कमी मुख्य मुद्दा है, प्रदेश विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है, पहाड़ी जिले तो बहुत दूर की बात है, राजधानी देहरादून का दून अस्पताल भी इससे अछूता नहीं है। प्रदेश में प्रसव पीड़ा के दौरान महिलाओं व नवजात शिशुओं की मौत आम बात हो गई है।
राज्य पर बढ़ता बित्तीय बोझ : प्रदेश का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है, जो राजकोषीय घाटा 2022 -23 में 8503.70 करोड़ था वो आज बढ़कर 12, 604.92 करोड़ पहुँच चुका है । बेशक प्रदेश में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय बढ़कर 2.74 लाख रुपये पहुंच गई है लेकिन क्या ये आंक़डे सभी जिलों में एक से हैं ? और अगर नहीं तो सरकार इस मामले में क्या कर रही है।
रैणी आपदा, जोशीमठ आपदा, सिल्क्यारा टनल, केदारघाटी की आपदा सरकार के लिए चुनौती बनकर सामने आई, जिसमें राज्य सरकार से ज्यादा भूमिका केंद्र की सरकार की रही , खासकर सिल्क्यारा टनल और जोशीमठ भू धसाव मामले में। धामी सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर सख्त प्रशासक होने की कोशिश की लेकिन, 8 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा इलाके में स्थित एक अनाधिकृत मदरसे को गिराए जाने के बाद हिंसक झड़पें हुईं, जो उत्तराखंड में पहली बार हुआ। लैंड जिहाद, लव जिहाद और थूक जिहाद भाजपा के अजेंडे में हमेशा से ही रहा है, लिहाजा धामी सरकार का कहना है कि उसने इस रोकने के लिए यूसीसी लागू किया, इसके अलावा धर्मांतरण कानून लागु किया है।
राष्ट्रीय खेल : अगर कुछ बातों को छोड़ दिया जाए तो उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय खेल का श्रेय निश्चित तौर पर धामी सरकार को जाता है।
आने वाले 2 सालों धामी के लिए अहम् होंगें, उन्हें हवा हवाई सफर छोड़कर अपनी और अपनी पार्टी की छबि को सुधारने का काम करना होगा , जिसके लिए एक दृढ इच्छा शक्ति की जरुरत है।