राकेश डंडरियाल
देहरादून। अंकिता हत्याकांड को हुए आज एक बरस हो गया है। एक साल का समय अंकिता के परिजनों खासकर माँ -पिता ने कैसे काटा होगा इसकी कल्पना भी करना आसान नहीं है, माँ -और पिता को न जाने कितने दर दर की ठोकरें खानी पडी होगी, पटवारी से लेकर पुलिस तक, जबकि आरोपी पुलकित, सौरव और अंकित प्रदेश के राजनेताओं की शरण में मस्त हैं। इसे उत्तराखंड का सौभाग्य समझूँ या दुर्भाग्य, कि जिस डबल इंजन का नारा ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का है वो ही हत्यारों को बचाने में लगी हुई है।
हत्याकांड को हुए अभी एक साल होने को ही था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी एक और बड़ा गेम खेला उन्होंने अंकिता भंडारी के नाम पर डोभ(श्रीकोट) स्थित राजकीय नर्सिंग कॉलेज का नाम रखने की घोषणा कर दी । मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार बेटी अंकिता के परिजनों के साथ खड़ी है। प्रदेश की हर बेटी का सम्मान और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए संकल्पबद्ध है। ये वही मुख्यमंत्री धामी हैं जिनके एक मंत्री के बेटे ने ये कुकर्म किया। मुख्यमंत्री जी क्या अंकिता भंडारी के नाम पर नर्सिंग कॉलेज का नाम रखने से उस बेटी को न्याय मिल जाएगा ?
ये सवाल आज भी बार बार सामने आ रहा है कि अंकिता की हत्या के बाद यमकेश्वर विधायक रेणु बिष्ट ने किसके कहने पर वनंतरा रिजॉर्ट में बुलडोजर चलाकर अपराध से जुड़े अहम सबूत नष्ट किए गए ? क्या 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि से सरकार के सभी दाग धुल गए ? क्या मुख्यमंत्री धामी को अपना 24 सितम्बर 2022 का वचन याद है,जिसमे उन्होने अंकिता हत्याकांड की ट्राइयल फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से करने की बात कही थी आखिर कहाँ गायब हो गई वो फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ?
एक बात और आखिर धामी सरकार ने मामले को सीबीआई के हवाले क्यों नहीं किया, सरकार को आखिर डर कि बात का है ? देश की सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट )ने भी जब इस मामले में सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा तो सरकार का पक्ष रखते हुए सरकारी वकील ने कहा कि इससे राज्य पुलिस का हौसला टूटता है, जबकि उसने अच्छा काम किया है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इस ओर इशारा कर रही है कि अंकिता की मौत पानी में डूबने के कारण हुई है। दूसरी तरफ फॉरेंसिक विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मृतका के साथ जबरन लैंगिक हमले का साक्ष्य नहीं मिला है। कहावत है समझदार को इशारा ही काफी।
अभी हाल ही में आरोपी पुलकित आर्य के कमरे की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी करने वाले सज्जन ने बताया कि अंकिता के कमरे में रखे कांच के गिलास व प्लेट से फिंगर प्रिंट लेने की कोशिश की थी, लेकिन कोई भी फिंगर प्रिंट डेवलप नहीं हुआ। मोबाइल से खींची गई फोटो का प्रिंट निकालकर व वीडियोग्राफी पैन ड्राइव में लेकर लक्ष्मणझूला थाने में जमा करा दिए थे। एसआईटी की ओर से हत्याकांड मेंं 97 गवाह बनाए गए हैं। अब तक 19 लोगों की गवाही हो चुकी है। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। अभी 78 गवाहों की गवाही होनी बाकी है। आप समझ सकते हैं कि अगर न्याय की प्रक्रिया ऐसे ही चली तो जबतक धामी सरकार रहेगी तब तक केस अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत की ही चौखट पर चलता रहेगा। सवाल आज भी जिन्दा है कि एसआईटी कब बताएगी कि कौन था वो वीआईपी जिसके लिए अंकिता भंडारी को मौत के घाट उतार दिया गया ?