देहरादून 02 फरवरी। उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता के लिये सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में बनी समिति ने शुक्रवार को UCC पर तैयार की गई ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा। मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व हमने उत्तराखण्ड राज्य की जनता से भारतीय जनता पार्टी के संकल्प के अनुरूप उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था।
लेकिन बीजेपी अपना 2011 का वो वादा भूल गई जिसे खंडूरी जी ने विधानसभा में पारित कराया था और वो था लोकायुक्त की नियुक्ति । तब से अब तक बीजेपी लगातार लोकायुक्त की नियुक्ति का जिक्र हर घोषणापत्र में करती आई है, यहाँ तक कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने तो पिछले साल फैसला दिया था कि 90 दिनों के अंदर लोकायुक्त नियुक्त करो, लेकिन धामी सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ। UCC पर धामी तर्क पर तर्क दिए जा रहे हैं लेकिन लोकायुक्त की नियुक्ति पर चुप्पी साधे हुए हैं,
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपने वादे के मुताबिक हमने सरकार गठन के तुरंत बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया था और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई। समिति में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली , उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल एवं समाजसेवी मनु गौड़ को सम्मिलित किया गया। समिति द्वारा दो उप समितियों का गठन भी किया गया। जिसमें से एक उपसमिति का कार्य “संहिता“ का प्रारूप तैयार करने का था। दूसरी उप समिति का कार्य प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था। समिति द्वारा देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किये गये। इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किये गये और प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहनों के साथ 14 जून 2023 को नई दिल्ली में चर्चा के साथ ही संवाद कार्यक्रम पूर्ण किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि रिपोर्ट तैयार करने के लिये समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने के लिये 08 सितम्बर 2022 को एक वेब पोर्टल लॉन्च की गई जिसमे राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और वाट्सअप मैसेज द्वारा सुझाव आमंत्रित किए गए। समिति को लगभग दो लाख बत्तीस हजार नौ सौ इक्सठ (2,32,961) सुझाव प्राप्त हुए। जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर है। लगभग 10 हजार लोगों से संवाद एवं प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने हेतु समिति की 72 बैठकें आहूत की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिये समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधान सभा के विशेष सत्र में रखेगी।