राकेश डंडरियाल
देहरादून 31 अगस्त। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग ) ने अपनी 2018 से मार्च 2021 तक की रिपोर्ट में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में जबरदस्त गड़बड़ी का खुलासा किया है। कैग की रिपोर्ट के आने के बाद पहले से ही घोटालों से जूझ रही धामी सरकार विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले ही बैकफुट पर आ गई हैं । जाहिर है की विधानसभा में मामला जोर शोर से उठेगा।
CAG ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के संचाल पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि आयुष्मान भारत योजना को उत्तराखंड सरकार प्रदेश की अटल आयुष्मान योजना के साथ संचालित किया जा रहा है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया हैं कि योजना से जुड़े 43 अस्पतालों का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। जबकि 5 ऐसे अस्पताल थे जहाँ निर्धारित बेड की क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज किया गया। इसके अलावा एक ही नंबर से कई मरीजों का इलाज दिखाया गया है।
रिपोर्ट में मरीजों की मौत का विवरण लिए बगैर 15 लाख 35 हजार रुपये का भुगतान कर दिया गया। उत्तराखंड में अब तक 5,178785 आयुष्मान कार्ड बने हैं , जबकि आयुष्मान भारत योजना का लाभ लेनेवाले मरीजों की संख्या 85066 है . योजना में गड़बड़ी करने वाले 53 अस्पतालों को हटाया जा चुका है और 140 करोड़ के दावे निरस्त किए गए है।
कैग की रिपोर्ट के बाद धामी बैकफुट पर
CAG की इस रिपोर्ट से साफ़ है कि आयुष्यमान भारत योजना से हटाए गए अस्पताल गड़बड़ी कर रहे थे। चयनित अस्पतालों ने अग्निशमन विभाग, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट और प्रदूषण नियंत्रण विभाग से भी अनुमति नहीं ली गई है।