सराईखेत 13 सितम्बर। राष्ट्रीय राजमार्ग 309 पर धनगढ़ी और पनोद नाले पर पुल निर्माण कार्य 8 नवंबर 2020 को शुरू हुआ था। पुल का निर्माण कार्य 18 महीनों के अंदर होना था। मगर विगत ढाई साल के अंदर 150 मीटर के पुल का महज 15 फीसदी ही काम हो पाया है। इस बीच पुल की ऊंचाई को लेकर नेशनल कॉर्बेट पार्क अथॉरिटीज व सरकार के बीच मामला ऐसा फंसा कि प्रदेश में तीन तीन मुख्यमंत्री बदल गए , लेकिन पुल की प्रगति का काम पूरा नहीं कर पाए।
गौरतलब है कि 2020 में उत्तराखंड से राज्यसभा सांसदअनिल बलूनी ने इस पुल का बेडा उठाया था और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से पत्राचार करके मामले को आगे बढ़ाया, लेकिन पुल की ऊंचाई को लेकर मामला फंस गया, इस दौरान नाले ने बरसात में कई लोगों की जान लील ली।
धनगढ़ी नाला गढ़वाल और कुमाऊं के पौड़ी, चमोली, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार धनगढ़ी व पनौथ, दोनों नालों पर पुल निर्माण पर 13.42 करोड़ की लागत आएगी। पुल के निर्माण में हो रही देरी को देखते हुए गढ़वाल और कुमाऊं के लगभग 60 सामाजिक संगठनों ने लगातार सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए वाकायदा धनगढ़ी पुल संघर्ष समिति का गठन किया गया है। संघर्ष समिति ने कल यानि गुरुवार को अल्मोड़ा -गढ़वाल पर स्थित सराईखेत में सभी संगठनों की बैठक बुलाई है, बैठक में आगे की कारवाही पर विचार विमर्श किया जायेगा। समिति ने तय किया है कि शुरुआत में जन प्रतिनिधियों से बात की जाएगी , इसके बाद अगर सकारात्मक नतीजे नहीं निकले तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। इसके लिए समिति ने वाकायदा गांव गांव जाकर एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर ली है।