बेरोजगारी दर 9.5 प्रतिशत से ऊपर
देहरादून 04 अगस्त। रविवार को देहरादून में आयोजित एक महामंथन कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने विचार रखे।
रावत ने कहा कि मैं इस बात को मानता हूं कि नारायण दत्त तिवारी जी ने प्रदेश के औद्यौगिक विकास का खाका तैयार किया था । होना ये चाहिए था कि हम वहां से इस औद्योगिकीकरण को उत्तराखंड के आमजनमानस को जोड़ना चाहिए था। गांवों के साथ जोड़ना चाहिए था। हम वो जुड़ाव पैदा नहीं कर पाए। लेकिन इसे सफलता से आगे नहीं बढ़ाया जा सका है।
उन्होंने कहा कि आज उसी का परिणाम है कि हमारे राज्य के अंदर पलायन सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बढ़ते पलायन को रोकना सभी के सामने बड़ी चुनौती है। इतने बड़े सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र आने के बाद भी बेरोजगारी कम नहीं हुई। उत्तराखंड के अंदर बेरोजगारी दर साढ़े 9 प्रतिशत से ऊपर है। बेरोजगारी में आप देख लीजिए, इसके साथ ही प्रति व्यक्ति आय भी इस बात को दर्शाती है। महंगाई जिस तरह से बढ़ रही है, उसमें प्रति व्यक्ति आय को भी देखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं भी प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हूं, तत्कालीन केंद्र सरकार थी तब एक बजट पर मंजूर किया, जिससे चारधाम यात्रा का विकास हो। 3 हजार करोड़ रुपये राज्य सरकार खर्च कर पाई थी, इसके प्रोजेक्ट केंद्र सरकार को भेजे गए, जिसमें चोराबाड़ी में सुरक्षा की व्यवस्थाएं करने से लेकर केदारनाथ के चारों तरफ विकास और मंदाकिनी नदी के कटाव व दूसरे काम हैं, उसमें बदलाव किया गया।
रोड बनाने का काम हो या वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम है वह सारे प्रोजेक्ट जो हैं केंद्र सरकार में रहते हैं। हमने क्या प्रयास किया? और कहां क्या रिस्पांस था, उसे भुलाया नहीं जा सकता। डॉक्टर निशंक जब मुख्यमंत्री थे उस समय कुंभ हुआ था। कुंभ के लिए मदद मांगने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास गए। पूरी मदद मिली। वही अग्निपथ योजना को लेकर कहा कि राज्य में सैन्य सेवा में जाने की परंपरा रही है। इस योजना से कुमाऊं गढ़वाल या गोरखा रेजीमेंट के रूप में जो हमारी पहचान है वह डाइल्यूट हो जाएगी। इस समय हमारे पूर्व सैनिक मेडल लगाकर के घूमते हैं आने वाली हमारी पीढ़ियां भी उसी तरीके से मेडल लगा करके रहें, यह जरूरी है।