चर्चित गुप्ता ब्रदर्स को लेकर निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बड़ा खुलासा

देहरादून 28 अगस्त 2024। गैरसैण में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सत्र में खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि, चर्चित गुप्ता ब्रदर्स धामी सरकार को अपदस्त करने की साजिश रच रहे हैं। मंगलवार को विधायक उमेश कुमार ने कांग्रेस और बीजेपी द्वारा उठाए गए सवालों पर अपने फेसबुक पर एक लंबा चौड़ा खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के तीन मुख्यमंत्रियों पर अंगुली उठाई है कि, किस प्रकार से इन तीनों मुख्यमंत्री गुप्ता ब्रदर्स के आगे नतमस्तक थे।

उमेश ने लिखा चर्चित गुप्ता ब्रदर्स पर खुलासे के बाद मुझ पर टिप्पणी और सवाल करने वालों के नाम खुला पत्र। गैरसैंण का ये सत्र भी बड़ा ऐतिहासिक हो गया। मैंने सवाल उठाया कि, देश दुनिया के मोस्ट वांटेड गुप्ता बंधुओ को यहां के तत्कालीन तीन मुख्यमंत्रियों ने वाई, जेड सुरक्षा से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग से हेली कंपनी तक का व्यापार सौंप दिया, जिनकी वजह से सतेंद्र साहनी जैसे नामी व्यापारी ने आत्महत्या कर ली।

जिन गुप्ता ब्रद्र्श को कई देशों ने वांटेड घोषित कर दिया था, औली में उनके बेटों की शादी को हमारे तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आयोजित करवाया था और खुद भी फूफा बनकर पहुंचे थे।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के मुख्यंमत्री ,गुप्ता ब्रदर पर इतने मेहरबान क्यों रहे ?

किन-किन मुख्यमंत्रियों का पैंसा साउथ अफ्रीका व्यापार में लगा है ?? नहीं पता तो चलो मैं बताऊँगा सबूतों के साथ। सोशल मीडिया के मेरे धुरंधर टिप्पणीकारो? इतने गंभीर विषय पर कुछ नही लिखोगे ? जब तुम्हारे प्रदेश का करोड़ो अरबों रुपए साउथ अफ्रीका चला गया? गुप्ता बंधुओ पर ये खुलासा करने से पहले बता दूं कि, आपको इन गुप्ता बंधुओ का इतिहास भी पता होगा कि इन्होंने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ अपने संबंधों का जमकर दुरुप्रयोग किया और आर्थिक लाभ लेने और देश में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों तक को प्रभावित किया।

जब गुप्ता बदर्स ,दक्षिण अफ्रीका जैसे बड़े देश की राजनीति में अस्थिरता पैदा कर सकते हैं तो, यहां छोटे से राज्य उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना उनके लिए कौन सी बड़ी बात रही होगी??

मैं कभी भी राजनीतिक अस्थिरता का पक्षधर नहीं रहा पर आखों के सामने हो रहे भ्रष्टाचार को डाइजेस्ट करने वालों में से भी नहीं हूं। इस राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की परंपरा की शुरुवात करने वाले कौन लोग थे ? सोचा कभी आपने ? पूर्व सीएम निशंक से लेकर हरीश रावत और त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में ही राज्य में अस्थिरता आई और इन तीनों के कार्यकाल में ही इन चर्चित गुप्ता ब्रदर्श को वाई, जेड सुरक्षा से लेकर, व्यापार तक करने की खुली छूट दी गई।

500 करोड़ में सरकार गिराने की साजिश के सूत्र के बारे में पूछ रहे हो तो सुनो…..तुम क्या चाह रहे हो ?? सूत्र की हत्या हो जाए ??

मैं तो दावे के साथ इस बात को कह रहा हूं कि, सरकार इसकी जांच करवाएगी तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। जिस सवाल को लेकर आपके मन में कुलबुलाहट हो रही है कि – उमेश कुमार को सपना आया ? उमेश कुमार को कैसे पता ?

तो आपको बता दूं कि, मैंने बहुत जिम्मेदारी से इस सवाल को उठाया है, क्योंकि इससे पहले भी पत्रकारिता के माध्यम से मैं उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के कई बड़े घोटालों का खुलासा कर चुका हूं । जब खुलासे हो गए और जनता ने उन भ्रष्ट मुख्यमंत्रियों को बेनकाब होते देख लिया तो उनके चेले मेरे बारे में अपशब्द लिखने लगे। अरे…ब्लैकमेलर और दलाल तो ये नेता निकले जिन्होंने दोनों हाथों से कमीशन की मीट भात भी खाई और साउथ अफ्रीका तक उत्तराखंड से कमाए भ्रष्टाचार के पैसे भी लगाए। यहां की जनता का अरबों खरबों पैसा जो विदेश में लगा इसकी भी पूरी जांच होनी चाहिए।

मैं तो खुद कह रहा हूं कि, जो गुप्ता बंधुओं पर खुलासा मैंने किया है,उस पूरे प्रकरण की जांच करवाई जाए ताकि जनता को पता चल सके कि सच्चाई क्या है? सोशल मीडिया टिप्पणीकार साथियों– आइए इस मुहिम में भी आगे बढ़िए और इस पूरे प्रकरण की जांच करवाने की मांग कीजिए ?? सोशल मीडिया पर लिखिए, ज्ञापन सौंपिये और तब तक आंदोलन कीजिए जब तक इस पूरे प्रकरण में जांच नही हो जाती, अब जरा ये भी पढ़ लीजिए कि, कब किस किस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में गुप्ता बंधुओं को क्या क्या लाभ दिए गए?

उत्तराखंड के तीन तीन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में अतुल, अनिल और अजय, तीनों गुप्ता बंधुओं पर खासी मेहरबानी की गई।

गुप्ता बंधुओं के जीजा अनिल गुप्ता को 2010 में सबसे पहले निशंक सरकार में सुरक्षा मिली, अतुल कुमार गुप्ता को कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में 14 जून वर्ष 2016 में वाइ श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, इसके बाद इसी साल उनका 19 सितंबर को 6 माह के लिए गनर दिया गया।

18 मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही ठीक 2 महीने बाद अतुल कुमार गुप्ता को जेड श्रेणी की सशुल्क सुरक्षा प्रदान कर दी गई, उनसे यह सुरक्षा 12 मार्च 2018 को हटाई गई।

कांग्रेस सरकार में ही दूसरे भाई अजय कुमार गुप्ता को 10 जून 2015 में प्रदेश में आगमन पर राज्य अतिथि की सुविधा प्रदान की गई तथा 11 जून 2015 से उन्हें निशुल्क जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई, जिसमें एक एस्कॉर्ट, दो पीएसओ तथा निवास स्थान पर सशस्त्र गार्द की सुरक्षा दी गई थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही इनको सशुल्क जेड श्रेणी की सुरक्षा फिर से प्रदान कर दी गई, जो मार्च 2018 तक जारी रही, और फिर 31 दिसंबर 2018 को निजी व्यय पर इनको दो गनर उपलब्ध कराए गए। जीजा अनिल कुमार गुप्ता को भी जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की और सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गई।

9 जून 2015 को अनिल कुमार गुप्ता को पुनः वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई, जिसमें एक-चार की सशस्त्र गार्द, दो पीएसओ सशुल्क दिए गए, इसके बाद 27 जून 2016 को अनिल कुमार गुप्ता को वॉइ श्रेणी के समकक्ष सुरक्षा दी गई और फिर 19 सितंबर 2016 को इस सुविधा को बढ़ाकर जेड श्रेणी की सुरक्षा कर दिया गया। 6 जून 2017 को त्रिवेंद्र राज में अजय गुप्ता अतुल गुप्ता को पुनः जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई। यह सुविधा उन्हें उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया।

2017 भाजपा सरकार का जिक्र

निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने आगे लिखा : इसके बाद भाजपा की सरकार बनने पर 6 सितंबर 2017 को अनिल कुमार गुप्ता को फिर से निजी व्यय पर वाइ श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई। यह वही समय था, जब फेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं की संपत्ति की जांच कर रहा था। इस दौरान एफबीआई ने जांच की थी कि गुप्ता बंधुओं ने साउथ अफ्रीका से दूसरे देशों में और अपने भाई भतीजों की कंपनियों में बड़ी मात्रा में मनी लांड्रिंग की थी। साउथ अफ़्रीका से भागने में एक बड़े गोल्ड माफिया ने गुप्त बंधुओं की मदद की थी सौ: अल जज़ीरा। अमेरिका की जाँच एजेंसी ने एक प्रेस नोट जारी करके कहा था कि गुप्ता बंधु स्टेट कैप्चर के माहिर है यानी अधिकारी और नेताओं को करप्ट करके सिस्टम को कैप्चर करते है।

अफ़्रीका को लूटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रेमंड ज़ोंडो के नेतृत्व में आयोग बनाकर जाँच की गई। गुप्ता बंधुओं की सुरक्षा 12 मार्च 2018 तक जारी रही और फिर 27 फरवरी 2019 को इन्हें निजी व्यय पर गनर की सुरक्षा उपलब्ध कराई गई। यह वही दौर था जब एक तरफ गुप्ता बंधुओं के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच हो रही थी तो वही और जिस कंपनी के सहारा कंप्यूटर्स के खाते कई देशों में मनी लाउंड्रिंग के आरोपों में सीज थे उसी कंपनी की सब्सीड्री कंपनी ने दून लेजर हॉस्पिटैलिटी कंपनी और गुप्ता बंधुओं की ही एलसी इन्वेस्टमेंट ने हेरिटेज एविएशन बना डाली और उत्तराखंड में बड़े-बड़े ठेके मिलने लगे। आपको लगता है मैं सही हूँ, तो मेरा साथ दें वरना विरोध करें ।

जिन सभी नेताओं ने अपने कार्यकाल में धोखाधड़ी में PHD कर चुके गुप्ता बंधुओं को सुरक्षा प्रदान की, राजकीय अतिथि का दर्जा दिया, वो सभी नेता फ्राडिये अजय गुप्ता एंड कंपनी के समर्थन में आकर प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं, बयान दे रहे हैं? इन नेताओं का बिलबिलाना भी इस बात का द्योतक है कि, सरकार के खिलाफ कुछ तो अनैतिक षड्यंत्र रचा जा रहा है, आरोपों की जांच की मांग करने वाले सभी नेता अजय गुप्ता के मददगार ही क्यों है? इन सभी की भी CBI जांच और पर्दाफाश होना ही चाहिए। सभी फैक्ट्स विधायक उमेश कुमार के फेसबुक पर लिखित डिटेल्स पर आधारित हैं। राजसत्ता न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता।

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