उत्तराखंड कांग्रेस की बड़ी जीत, बैकफुट पर धामी , वापस ली बार लाइसेंस पॉलिसी

देहरादून 11 अक्टूबर। आखिरकार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को क्या जरुरत पडी कि उन्हें अपना वो फैसला वापस लेना पड़ा जिसमें उन्होंने 12 हजार रुपये में घरों में बार लाइसेंस दिए जाने के फैसले को वापस ले लिया? उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने इसे अपनी पार्टी कांग्रेस की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि जिस दिन से राज्य सरकार ने इस तरह का राज्य विरोधी और जन विरोधी फैसला लिया है उसी दिन से उत्तराखंड कांग्रेस मुखरता से इसका विरोध कर रही है। उत्तराखंड कांग्रेस की महिला कांग्रेस ने धामी सरकार के खिलाफ इस फैसले को लेकर वृहद प्रदर्शन किया तथा प्रदेश के हर कोने से इस बेतुके फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की जा रही थी । और तो और राष्ट्रीय पटल पर भी उत्तराखंड की धामी सरकार का यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ था।

दसौनी ने धामी सरकार को समझदार सलाहकार रखने की नसीहत देते हुए कहा कि इस तरह के बिना सिर पैर के फैसलों से धामी सरकार की चारों ओर व्यापक स्तर पर फजीहत हुई है। दसौनी ने कहा कि इस तरह का फैसला कोई संवेदनहीन व्यक्ति ही सुझा सकता है, दसौनी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि घर-घर बार लाइसेंस दिए जाने की बात वह लोग कर रहे हैं जो अपने चुनावी मेनिफेस्टो में शनेः शनेः शराब को हतोत्साहित करने की और उत्तराखंड को ड्राई स्टेट बनाने की वकालत किया करते थे। दसौनी ने कहा कि आज एक बार फिर भाजपा का चाल चरित्र चेहरा सबके सामने बेनकाब हो गया।

मुंह में राम और बगल में छुरी यही भाजपा का असली रूप है। दसौनी ने कहा की आज प्रदेश का युवा लाचार हताश निराश स्थिति में है ऐसे में राज्य सरकार जिस तरह से बहुत ही आसान दामों में और आसान तरीके से घर-घर बार लाइसेंस बांटने की तैयारी कर रही थी वह राज्य के युवाओं के भविष्य को अंधकारमय करने के लिए काफी था। दसौनी ने कहा कि आज उत्तराखंड राज्य की तुलना पंजाब से की जा रही है क्योंकि घर-घर में युवा नशे की गिरफ्त में है ।

उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान नशे से युवाओं को बाहर निकालना और उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराना होना चाहिए था लेकिन शायद धामी सरकार यही चाहती है कि युवा हर वक्त नशे की गिरफ्त में रहे और सरकार से सवाल पूछने वाला कोई न हो। उन्होंने ने कहा कि भाजपा सरकार युवाओं को शराब का आदि बनाना चाहती है, ताकि बेरोजगार पढ़ना लिखना और रोजगार की बात करना भूल जाएं। शराब नीति से महिलाओ के प्रति अपराध बढ़ेंगे और महिलाओं को रोजाना गृह क्लेश का सामना करना पड़ेगा।

दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की विडंबना ही है कि हमारी राजस्व प्राप्ति का जरिया मात्र खनन और शराब बन चुका है, भाजपा नेता चुनाव के समय तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें और वादे करते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद सब गायब हैं। उन्होंने कहा था कि डबल इंजन की सरकार आएगी तो राज्य विकास के मार्ग पर सरपट दौड़ेगा परंतु आज केंद्र सरकार लगातार राज्य को ठेंगा दिखा रही है और राज्य की आमदनी मात्र शराब और खनन पर निर्भर हो गई है। धामी सरकार के मंत्रिमंडल और उनकी इर्द गिर्द कोई अधिकारी ऐसा दिखाई नहीं पड़ता जो राज्य की आमदनी बढ़ाने हेतु बेहतर सुझाव दे सके ।

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