अब नौर गांव की लक्ष्मी बनी गुलदार का निवाला

क्या ऐसे ही मरती रहेंगी पहाड़ की माँ बहनें ?

राकेश डंडरियाल

श्रीनगर 11 अक्टूबर । बुधवार को श्रीनगर के कीर्तिनगर ब्लॉक में नौर गांव में घास लेने जंगल गई लक्ष्मी पर गुलदार ने हमला कर दिया। इस दौरान महिला की मौके पर ही मौत हो गई। घटना आज सुबह लगभग सुबह 9 बजे की है। परिजनों के अनुसार नौर गांव निवासी लक्ष्मी देवी पुरी(55) पत्नी स्व. राजेंद्र पुरी जंगल में घास लेने जा रही थी तभी घात लगाए बैठे गुलदार ने उस पर हमला कर दिया। जिसमें उनकी मौत हो गई।

सवाल ये है कि आखिर सरकार इस समस्या से निपटने के लिए क्या कर रही है? प्रदेश की धामी सरकार अब तक इस मसले पर चुप है, उनकी चुप्पी पहाड़ पर उसी तरह भारी पढ़ रही है जैसे कि गुलदारों की उपस्थित में पहाड़ के जिले। लगातार गुलदार के हमले हो रहे हैं लेकिन सरकार मुआवजे के अलावा इस समस्या का स्थाई समाधान ढूंढ़ने की कोशिस ही नहीं कर रही है। भारी भरकम वन विभाग है, मंत्री है, लेकिन वो केवल जंगल की लकड़ी चुराने तक सीमित है। गुलदारों के कारण पौड़ी गढ़वाल अल्मोड़ा,पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी जिलों का इकोलॉजिकल बैलेंस विगड़ रहा है, लेकिन इसकी चिंता करने वाला कोई नहीं है। हालत दिन प्रति दिन बिगड़ते जा रहे हैं, अगर स्थिति को ऐसे ही भगवान् भरोसे छोड़ दिया गया तो इन ज़िलों के जानवर ज्यादा और मनुष्य ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेंगे।

उत्तराखंड में इस साल 40 लोग अपनी जान जानवरों के हमलों में गंवा चुके हैं। इनमें से 14 लोगों की जान गुलदार ने ली है। वर्ष 2000 से अब तक गुलदार के हमले में 514 लोगों की जान गई है, जबकि 1868 लोग घायल हुए हैं। वहीं, वर्ष 2000 से अब तक 1741 गुलदारों की मौत रिकॉर्ड में दर्ज है।

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