राकेश डंडरियाल
देहरादून। बुधवार को मुख्यमंत्री धामी ने साबरमती रिवरफ्रंट का दौरा किया। उन्होंने रिवरफ्रंट को आधुनिक तकनीकि का बेजोड़ नमूना बताया, उन्होंने कहा कि यह पुल अपने सुंदर संरचना से साबरमती के सौंदर्य से भी पर्यटकों को आकर्षित कराता है। सवाल ये है कि क्या मुख्यमंत्री अपनी राजधानी के रिस्पना और बिंदाल के पुनर्जीवन के सपने को भूल गए हैं , या उनके दिमाग में रिस्पना और बिंदाल को लेकर कुछ चल रहा है। वैसे अभी तक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना पर कोई सार्वजानिक बयांन नहीं दिया है।
13 साल पहले साबरमती नदी की तर्ज पर रिस्पना और बिंदाल के पुनर्जीवन का ख्वाब 2010 में तत्कालीन महापौर विनोद चमोली ने देखा था , जिसके बाद वे एमडीडीए के अधिकारियों के साथ अहमदाबाद गए,दौरे के बाद उन्होंने सरकार को एक बिस्तृत रिपोर्ट सौपी, समय का पहिया आगे बढ़ा और रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने, निशंक के सामने साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की टीम ने अपना डेमो रखा, लेकिन प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सका ।
हरीश रावत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने उन्होंने रिस्पना और बिंदाल नदी की सूरत संवारने के लिए रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया। हरीश रावत के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर गंभीरता से काम किया। उन्होंने एक कंपनी व साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ एमओयू भी कर लिया था , लेकिन तब तक उनकी विदाई हो गई, धामी सूबे के नए निज़ाम बने, लगभग ढाई साल गुजर गया है वो भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि परियोजना पर काम कब शुरू हो पाएगा और कब साबरमती की तरह रिस्पना और बिंदाल नदी पुनर्जीवित होगी ।
इस बाबत जब राजसत्ता न्यूज़ ने विनोद चमोली जो देहरादून के धर्मपुरा इलाके से भाजपा के विधायक हैं से बात की तो चमोली ने बताया कि मेरे रिस्पना और बिंदाल के सपने को प्रदेश की लाल फीताशाही ने ख़त्म कर दिया है। आज रिस्पना और बिंदाल के पुनर्जीवन का ख्वाब लगभग ख़त्म हो गया है। एमडीडीए ने इस परियोजना को ख़त्म ही कर दिया है , उन्होंने मुख्यमंत्री धामी के साबरमती रिवरफ्रंट दौरे पर कहा कि शायद इस दौरे से कोई आशा की किरण नजर आ जाए।