धंसते जोशीमठ पर जांच एजेंसियों ने पेश किए चौंकाने वाले खुलासे

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान के अनुसार जोशीमठ के 20 प्रतिशत मकान रहने लायक नहीं हैं

जोशीमठ 25 सितम्बर 2023। पिछले साल जोशीमठ व प्रदेश के कुछ इलाकों में जमीनों धंसने और मकानों के गिरने की कई घटनाएं हुई थीं, गावं से लेकर सड़कें तक टूट गई थीं। जोशीमठ में भूमि की धसने को लेकर इलाके के लोगों में दहशत और डर का माहौल था। इन तमाम घटनाओं को देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, एनडीआरएफ, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान, भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण समेत कई एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी थी। अब एनडीआरएफ ने जो रिपोर्ट्स पेश की हैं उसमे कहा गया है कि उत्तराखंड का जोशीमठ शहर एक ऐसा शहर है जहां कम जगह में ज्यादा लोग बसे हुए हैं। वहां की मिट्टी भी ढीली है। इससे वहां धंसाव ज्यादा है। इसमें सिफारिश की गई है कि जोशीमठ को नो न्यू कंस्ट्रक्शन जोन यानी नया निर्माण प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया जाए।

2011 की जनगणना के समय जोशीमठ की कुल जनसँख्या 16,700 के करीब थी और इसका घनत्व 1,454 प्रतिवर्ग किमी था। अब यह बढ़कर अब 25 हजार हो गई है। यानी आबादी बढ़ी, लेकिन जगह नहीं बढ़ी, इससे प्रतिवर्ग किमी में रह रहे लोगों की संख्या काफी अधिक हो गई है। वहां की जमीन इनको संभाल नहीं पा रही है। कुछ ऐसी ही परेशानी भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण ने भी अपनी रिपोर्ट में दी है। इसमें कहा गया है कि जिन स्थानों पर ज्यादा घनी आबादी है और बड़ी इमारते हैं, वहां इस तरह के खतरे ज्यादा हैं।

दूसरी तरफ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान ने भी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौप दी है। अपनी 180 पेज की रिपोर्ट में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान ने कहा गया है कि उत्तराखंड में सभी तरह के निर्माण कार्यों की जांच कराई जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि पहाड़ के शहरों में यह स्थितियां कई शहरों में होने की आशंका है। रिपोर्ट ने कुल 2364 मकानों की जांच के बाद कहा कि जोशीमठ में 20 फीसदी मकान अनुपयोगी हैं। केवल 37 फीसदी मकान ही रहने योग्य हैं। एक फीसदी मकानों को गिराए जाने की सिफारिश की है। इसके अलावा 42 फीसदी मकानों में आगे भी जांच कराए जाने की जरूरत बताई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *