“सरकार अध्यादेश ला कर वोट के लिए बस्तियों पर दबाव बनाए रखना चाहती है – सूर्यकांत धस्माना”
देहरादून 23 अक्टूबर 2024। प्रदेश भर में फैली साढ़े पांच सौ से ज्यादा मलिन बस्तियों के लोगों में टूटने का डर हमेशा बना रहे और दबाव में वे भाजपा के पक्ष में मतदान करते रहें इस नीति को अपनाते हुए भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड सरकार बजाय मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने के लगातार तीसरी बार अध्यादेश ला कर मलिन बस्तियों के लोगों पर एहसान लाद कर सिर्फ वोटों की सौदेबाजी कर रही है ।
लेकिन कांग्रेस को यह मंजूर नहीं इसलिए अब उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद कांग्रेस के बैनर तले मालिकाना हक़ की आर पार की लड़ाई सरकार से लड़ने के लिए तैयार है, यह उदघोष आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं मलिन बस्ती विकास परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने देहरादून की सबसे पुरानी मलिन बस्तियों में से एक कांवली के शास्त्रीनगर खाले में आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष आयोजित विशाल धरने को संबोधित करते हुए किया। उन्होंने कहा कि, इसी माह दीपावली के तत्काल बाद वे पूरे राजधानी देहरादून समेत राज्य के हर जिले की मलिन बस्तियों में मालिकाना हक़ न्याय यात्रा शुरू करेंगे। धस्माना ने कहा कि, वर्ष 2016 में राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के गहन सर्वे व अध्ययन के पश्चात बाकायदा नियमावली बना कर विधानसभा से पारित करवा कर राज्य की मलिन बस्तियों को नियमित करने और उनके लोगों को मालिकाना हक देने की कार्यवाही शुरू कर दी थी, किंतु 2017 में राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद भाजपा सरकार ने उक्त कारवाही को रोक कर ठंडे बस्ते में डाल दिया और 2018 में उच्च न्यायालय नैनीताल के अतिक्रमण के एक जन हित याचिका पर फैसले की आड़ में राज्य की मलिन बस्तियों के खिलाफ उजड़ने की साजिश रच डाली, जिस के खिलाफ जब उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद ने संघर्ष का बिगुल बजाया और कांग्रेस की अगुवाई में मुख्यमंत्री आवास कूच किया तो भाजपा ने निकाय चुनावों में अपनी हार के डर से आनन फानन में अध्यादेश ला कर तीन साल के लिए कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी बना दिया।
इस बीच मलिन बस्तियों के लोगों को भरोसा दिलाया कि, शीघ्र नियमितीकरण करने और मालिकाना हक़ देने का आश्वासन परंतु फिर 2018 के निकाय चुनावों में वोट हासिल कर लिए, और अगले तीन वर्षों तक नियमितीकरण और मालिकाना हक़ देने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की और तीन साल बाद जब 2021 में उस अध्यादेश की मियाद समाप्त हो गई तो 23 अक्टूबर 2021 को एक बार फिर नया अध्यादेश ला कर लोगों को आश्वासन दिया की शीघ्र नियमितीकरण और मालिकाना हक़ देने के लिए कार्यवाही की जाएगी और आज जब वह अध्यादेश दूसरी बार भी समाप्त हो रहा है, तो सरकार बस्तियों के नियमित करने और मालिकाना हक़ देने के लिए कानून बनाने की जगह पुनः तीन साल के लिए अध्यादेश की बात कर रही है, जिससे यह साफ हो गया की भाजपा मालिकाना हक़ देने के पक्ष में नहीं है और वो लगातार वोट का प्रलोभन दे कर व बस्तियों को बुलडोजर का डर दिखा कर उनका वोट हासिल करना चाहती है, जो उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद को कतई मंजूर नहीं है और अब परिषद कांग्रेस के बैनर तले पूरे प्रदेश की मलिन बस्तियों में मालिकाना हक़ के लिए पदयात्राएं धरने प्रदर्शन आयोजित कर सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ेगी। धस्माना ने कहा कि, प्रदेश सरकार को तत्काल विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर कांग्रेस सरकार द्वारा 1916 में बनाई गई नियमावली के अंतर्गत मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने की नियमावली में अगर कोई संशोधन आवश्यक हो उसे करवा कर तत्काल कार्यवाही शुरू करनी चाहिए अन्यथा, मलिन बस्ती विकास परिषद अब सरकार से संघर्ष करने को तैयार है। धस्माना ने ऐलान किया कि, आज शास्त्रीनगर के विशाल धरने से संघर्ष का श्री गणेश हो गया है और अब देहरादून समेत पूरे प्रदेश के हर जिले की हर मलिन बस्तियों में मालिकाना हक़ दो न्याय यात्रा की जाएगी और फिर राजधानी देहरादून में विशाल मुख्यमंत्री कूच व विधानसभा कूच का कार्यक्रम होगा।
धरने को संबोधित करते हुए महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाक्टर जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि, मलिन बस्तियों के लोग अब भाजपा की चालाकी और धोखे को पूरी तरह से समझ गई है और यह बात भी सारे गरीब लोग समझ गए हैं कि, अगर मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने का साहस किसी में है तो, वह सिर्फ कांग्रेस में है और कांग्रेस पार्टी जब प्रदेश में सरकार बनाएगी तो वह अपने वादे को पूरा करते हुए मलिन बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक़ देने की कार्यवाही करेगी।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्रम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कौशल ने कहा कि, मलिन बस्तियों के ऊपर जब भी कोई खतरा मंडराता है तब उनके संकट मोचक के रूप में गरीबों के मसीहा सूर्यकांत धस्माना ही सबसे पहले खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि, १९९६ में भी जब शासन प्रशासन का बुलडोजर पूर्ण बस्ती पर चला तो धस्माना ने ही आगे आकर बस्तियों को टूटने से बचाया और फिर मलिन बस्तियों का सबसे बड़ा संगठन मलिन बस्ती विकास परिषद खड़ा कर मलिन बस्तियों के नियमितीकरण मालिकाना हक़ व विकास की लड़ाई लड़ी। उन्होंने सभी मलिन बस्ती वासियों से आह्वाहन किया कि, वे धस्माना के पीछे लामबंद हो कर मलिन बस्तियों के नियमितीकरण मालिकाना हक़ की लड़ाई को लड़ कर अंजाम तक पहुंचाएं।
धरने को प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री जगदीश धीमान, निवर्तमान पार्षद संगीता गुप्ता, इलियास अंसारी, मुकीम अहमद, पूर्व पार्षद राजेश पुंडीर, महानगर उपाध्यक्ष अवधेश कथिरिया, ब्लॉक अध्यक्ष कांवली विक्रांत राठी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष यमुना कालोनी प्रमोद गुप्ता, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रेमनगर जितेंद्र तनेजा, कैंट कांग्रेस महिला अध्यक्ष सुशीला शर्मा, मगन सिंह पुंडीर, संजय भारती, राम कुमार थपलियाल, शुभम सैनी, इजहार, सुल्तान, अंजू भारती, अनिता दास, गुड्डी, विमलेश, उर्मिला, राजेंद्र राज, नईम समेत सैकड़ों की संख्या में मलिन बस्ती वासी शामिल रहे।