देहरादून: केंद्र सरकार के 11 साल का खूब ढोल पीटने वाली उत्तराखंड सरकार, व एक राष्ट्र एक चुनाव कराने वाली डबल इंजन सरकार का हाल ये है कि वो प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों में चुनाव ही नहीं करना चाहती है।
राज्य सरकार सरकार ने एक बार फिर कुछ समय के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासक की तैनाती कर दी है। पंचायतीराज विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार 31 जुलाई 2025 तक या फिर पंचायत चुनाव होने व पंचायतों के गठन होने तक यह प्रशासक काल जारी रहेगा। इस आदेश से पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे लोगों का इंतजार और लंबा होता जा रहा है और खर्च बढ़ता जा रहा।
दरअसल राज्य में ग्राम पंचायतों का कार्यभार देख रहे प्रशासकों का कार्यकाल विगत 30 मई को समाप्त हो गया था । प्रशासकों के कार्यकाल के संबंध में अभी तक कोई अध्यादेश जारी न होने के कारण संवैधानिक संकट की स्थिति बनी हुई थी। राज्य के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों का कार्यकाल गत वर्ष नवंबर व दिसंबर में समाप्त हो गया था। चुनाव की स्थिति न बन पाने के कारण सरकार ने इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया था। प्रशासकों का दायित्व ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्षों का सौंपा गया।