रुद्रप्रयाग 25 मई। 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा के अभी महज 16 दिन ही बीते हैं और 56 तीर्थयात्री दम तोड़ चुके हैं । दूसरी तरफ सरकार, व प्रशासन का दावा है कि यात्रा के लिए चाक चौबंध प्रबंध किए गए हैं, सवाल ये है कि अगर चाक चौबंद तैयारियां है तो ज्यादातर तीर्थयात्री हार्ट अटैक से ही क्योँ मर रहे हैं? प्राइवेट उड़नखटोले अगर केदारनाथ में रोज सैकड़ों तीर्थयात्रियों को ले जा सकते हैं तो हार्ट के बीमारों को देहरादून या AIIMS ऋषिकेश क्योँ नहीं ला सकते ? अगर 22 किलोमीटर लंबे यात्रा मार्ग में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है, तो नतीजे दिख क्योँ नहीं रहे हैं ?
सवाल ये भी है कि अगर श्रद्धालुओं की नियमित स्क्रीनिंग की जा रही है तो मौतें क्योँ हो रही है ? सूत्रों के अनुसार मरने वालों में ज्यादातर 50 साल से अधिक आयु के श्रद्धालु हैं जिनके संख्या 40 है। मौत का मुख्य कारण हार्टअटैक और पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों के वायु कोशिकाओं में तरल पदार्थ की मात्रा अधिक होने) के कारण 47 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने भी 52 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि कर चुके हैं, इस पूरे प्रकरण में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत सीन से लगभग गायब हैं।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 27 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। शुक्रवार सुबह तक यह आंकड़ा 23 था, लेकिन धाम में शाम को चार और यात्रियों की हार्ट अटैक से मौत हो गई है, जबकि बदरीनाथ में यह आंकड़ा 14 , यमनोत्री में 12 , गंगोत्री में 3 है।