महाकुंभ : 144 साल बाद लगने वाले महाकुंभ का दावा कितना सच ?

नितेश बौड़ाई (ज्योतिर्विद उत्तराखंड)

मकरे च दिवानाचे वृषगे च बृहस्पती।
कुम्भयोगो भवेत् तत्र प्रयागे हि अतिदुर्लभे ।। (स्कन्दपुराण)

कुंभ पर्व की परंपरा भारत में अति प्राचीन है। यह महापर्व भारत की गौरव में वैदिक संस्कृति एवं सनातन सभ्यता का प्रतीक है। कुंभ शब्द का अर्थ साधारणता घड़ा ही है। यह प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल में हरि‌द्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक स्थानों पर होता है। विक्रम संवत 2081 कालयुक्त नामक संवत्सर है, इस संवत्सर में ही प्रयागराज का कुंभ महापर्व मनाया जा रहा है। हर 12 वर्षों के पश्चात सूर्य, चंद्र और बृहस्पति इन तीनों के विशेष योग पर कुंभ महापर्व का आयोजन होता है। कुछ लोगों के ‌द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि यह कुंभ 144 वर्षों के बाद आया है, जो तथ्यात्मक रूप से गलत है।

2025 -144 = 1881

इस तरह वर्ष 1881 में कुंभ प्रयाग में लगना चाहिए था परंतु वर्ष 1883 में कुंभ पर्व का आयोजन प्रयाग में हुआ क्योंकि जब वृषभ राशि में बृहस्पति का गोचर होता है तभी कुंभ का आयोजन प्रयाग में होता है। बृहस्पति 1.8 मील प्रति सेकंड की गति से 11.9 वर्ष में सूर्य की परिक्रम पूरी करता है। योग कभी 11 वर्ष तो कभी 13 वर्ष भी पड़ता है क्योंकि बृहस्पति कभी-कभी अतिचरी और वक्री होते हैं।

पुराणों के अनुसार अमृत कुंभ की रक्षा बृहस्पति सूर्य और चंद्रमा ने की थी चंद्रमा ने अमृत को कुंभ से गिरने से बचाया, सूर्य ने कुंभ को फूटने से और बृहस्पति ने असुरों के द्वारा अमृत के अपहरण होने से कुंभ की रक्षा की थी। इसी कारण सूर्य चंद्र और बृहस्पति तीनों ग्रहों के विशेष योग पर ही कुंभ महापर्व बनाया जाता है। वर्ष 1883 ईस्वी में बृहस्पति 24 जनवरी को वक्री हुए थे, जिस कारण कुंभ पर्व प्रयाग में मनाया गया था।

इस बार महा कुंभ को लेकर बहुत से समस्याओं का सामना साधु संतों व आम जनता को करना पड़ रहा है इसका मूल कारण कुंभ पर्व का आयोजन कालयुक्त नाम के संवत्सर में होना है।

यत्कालयुक्तं तदनेकदोष सिद्धार्थसंगे बहवो गुणाश्च ।

रौद्रोऽतिरौद्रः क्षयकृत् प्रदिष्टो यो दुर्मतिर्मध्यमवृष्टिकृत् सः ।। 8/49 बृहद संहिता ।।

वाराह भौर के अनुसार यदि कालयुक्त नाम का संवत्सर हो तो अनेक दोष होते हैं जैसे ब्राह्मण व बु‌द्धिजीवियों को अनेक प्रकार का भय होता है और जन व धन कि हानी होती है। और निम्न जातियों उदय होता है। जैसे इस कुंम में किन्नर अखाड़े का विवाद।

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