उत्तराखंड का हर सरकारी विभाग भ्रष्टाचार की चपेट में : गरिमा मेहरा दसौनी

दुग्ध घोटाला : कुमाऊं कमिश्नर की रिपोर्ट पर क्यों कुंडली मारे बैठे है सौरभ बहुगुणा?

देहरादून 06 जनवरी। उत्तराखंड के सरकारी विभागों में लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं, शनिवार को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लाल कुआं द्वारा किए गए घोटाले पर प्रेस वार्ता की । उन्होंने कहा कि 26 मई 2023 को भाजपा के हरिश्चंद्र आर्य (पूर्व जिला अध्यक्ष अनुसूचित जाति मोर्चा,) ने दुग्ध संघ के विभागीय सचिव पुरुषोत्तम को लाल कुआं दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ में चल रहे बड़े वित्तीय घोटाले की शिकायत करते हुए एक पत्र लिखा। पत्र का संज्ञान लेते हुए सचिव ने कमिश्नर कुमाऊं दीपक रावत को मामले की जांच सौंपी। दसौनी ने कहा की 15 जुलाई 2023 को दुग्ध संघ ने कमिश्नर कुमाऊं को सभी आरोपो के जवाब देते हुए पत्र लिखा, और 21 सितंबर 2023 को कमिश्नर कुमाऊ ने हरिश्चंद्र आर्य को व्यक्तिगत रूप से पूछताछ के लिए बुलाया। इसके बाद 16 अक्टूबर को कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने विभाग को हरिश्चंद्र आर्य द्वारा की गई शिकायतों की पुष्टि करते हुए विभाग में भारी वित्तीय अनियमितता की बात स्वीकारते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपी।

दसौनी ने कहा कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी विभागीय मंत्री सौरभ बहुगुणा ने उपरोक्त मामले में आज तक कोई कार्यवाही नहीं की है ।
उन्होंने ने कहा कि इस पूरे घोटाले को नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लाल कुआं के प्रधान प्रबंधक निर्भय नारायण और प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष मुकेश बोरा की सांठ गांठ और मिलीभगत है ।परंतु दोनों ही व्यक्तियों पर अभी तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं हुई ।

दसौनी ने आशंका जताते हुए कहा कि इस तरह का भ्रष्टाचार मात्र एक ही दुग्ध संघ में देखने को मिल रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में क्या चल रहा होगा? दसोनी ने यह भी कहा कि दुग्ध संघ में एक ही जीएसटी नंबर के दो फर्मों को टेंडर देने की बात भी सामने आई है , 25 लाख से ज्यादा और 5 करोड़ से कम की धनराशि का क्रय करने पर विभाग को कम से कम एक राष्ट्रीय समाचार पत्र और एक राज्य स्तरीय समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित करनी होती है, इन सभी नियमों को ताक पर रखा गया।

दसौनी ने बताया कि हरिश्चंद्र आर्य ने कुल मिलाकर एक दर्जन से ज्यादा गंभीर शिकायतें दुग्ध संघ, लाल कुआं के विषय में विभागीय सचिव को भेजी,जिसपर विभागीय सचिव ने भी तत्परता दिखाते हुए कुमाऊं कमिश्नर को जांच सौंपी ,बावजूद कुमाऊं कमिश्नर के 16 अक्टूबर को रिपोर्ट सौंपने के बाद भी 3 महीने तक विभागीय कार्रवाई न करना बताता है कि विभागीय मंत्री भ्रष्टाचार को आश्रय दे रहे हैं। दसोनी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता का दुर्भाग्य ही है कि प्रदेश को भ्रष्टाचारी मंत्री चला रहे हैं। दसौनी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपेक्षा करी कि वे इस खुलासे के बाद व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर संलिप्त लोगों पर कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *