नई दिल्ली 14 जनवरी। चीन से लौटे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत से दो टूक कह दिया है कि भारत 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटा लें। रविवार को मीडिया से बात करते हुए मालदीव के प्रेसिडेंट ऑफिस के प्रवक्ता अब्दुल्ला नजीम इब्राहिम से इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा- भारतीय सैनिक मालदीव में नहीं रह सकते। राष्ट्रपति मुइज्जू और उनकी सरकार की यही नीति है।
मालदीव के मीडिया ने वहां की सरकार के हवाले से बताया कि मालदीव में फिलहाल 88 भारतीय सैनिक मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच सैनिकों को हटाए जाने से जुड़ी बातचीत के लिए हाई-लेवल कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी से रविवार को मालदीव के विदेश मंत्रालय के साथ पहली बैठक की। इस मीटिंग में भारत के हाई कमिश्नर मुनू महावर भी मौजूद रहे।
“हमें धौंस दिखाने का लाइसेंस किसी के पास नहीं”
शनिवार को चीन की पांच दिवसीय यात्रा से लौटने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि उनका देश छोटा हो सकता है लेकिन इसका “मतलब ये कतई नहीं कि उन्हें हमें धौंस देने का लाइसेंस मिल गया है.” चीन दौरे गए मुइज्जू ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं,. इसके साथ ही चीन मालदीव को 13 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता भी देगा। गौरतलब है कि मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाना, राष्ट्रपति मुइज्जू का प्रमुख चुनावी वादा था, चुनावों के दौरान उन्होंने कहा था कि कार्यभार संभालते ही मालदीव से “भारतीय सैनिकों” को हटाना शुरू कर देंगे ।
क्यों मौजूद हैं मालदीव में भारतीय सैनिक
भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर व 2020 में एक छोटा विमान तोहफे में दिया था। उपहार में दिए गए विमान का इस्तेमाल खोज-बचाव अभियानों और मरीजों को लाने के लिए किया जाना था। मालदीव की सेना ने 2021 में बताया था कि इस विमान के संचालन और उसकी मरम्मत के लिए भारतीय सेना के 70 से ज्यादा जवान देश में मौजूद हैं।इसके बाद मालदीव के विपक्षी दलों ने ‘इंडिया आउट’ अभियान शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि भारतीय सुरक्षा बल के जवान मालदीव छोड़ें। मामले को लेकर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति अपनाने का आरोप लगाया था।