जिन मंत्रियों को आपदा के समय जनता के बीच होना चाहिए था वो लगा रहे हैं दिल्ली की रेस
राकेश चंद्र
देहरादून। प्रदेश के 13 में से 8 पर्वतीय जिले मौसम की मार झेल रहे हैं, और दुर्भाग्य देखिये कि जिन जनता के नेताओं को अपनी जनता के बीच होना चाहिए था वे दिल्ली से देहरादून और देहरादून से दिल्ली में ऐश काट रहे हैं। प्रदेश में आपदा आई हुई है, और मंत्री दिल्ली की दौड़ लगा रह हैं। सोमवार को धामी के एक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी दिल्ली की दौड़ में शामिल हो गए , उन्होंने दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से भेंट की। उनसे पहले 25 जुलाई को मंत्री धनसिंह रावत ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मुलाक़ात की थी। आखिर माजरा क्या है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नीति आयोग की मीटिंग के बाद दिल्ली में ही बैठे हैं, उनके पास दिल्ली में बैठने के लिए समय है, लेकिन टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार के तोली और तिनगढ़ गांव के लोगों से मिलने का उनके पास समय नहीं है। गौरतलब है कि तोली में बादल फटने से हुए भूस्खलन से मकान ध्वस्त हो गया। मलबे में दबकर मां-बेटी की जान चली गई। घर के तीन सदस्यों ने किसी तरह भागकर जान बचाई।
दूसरी तरफ सोमवार को मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड सदन दिल्ली में सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों पर आधारित पुस्तक ‘वो 17 दिन’ का विमोचन किया। पर उन्होंने विमोचन के दौरान उन्होंनेये नहीं बताया कि जिस कंपनी ने ये हादसा किया, उससे उत्तराखंड को हर्जाने में क्या मिला ? हां ये जरूर तय हो गया है कि किताब लिखने वाले को बैतरणी पार जरूर कराएँगे।
दिल्ली भागमभाग के तो कारण दो हैं उपचुनाव में मंगलौर और बद्रीनाथ सीट पर पुष्कर सिंह धामी की करारी हार , जिसके बाद पार्टी में जबरदस्त रार है। धामी कैबिनेट के मंत्रियों का मानना है कि ये पार्टी की हार नहीं बल्कि धामी की व्यक्तिगत हार है। धनसिंह रावत चाहते हैं कि लगे हाथ अपना दावा ठोक दिया जाए। दूसरी तरफ गणेश जोशी के खिलाफ विगत दिनों में कई शिकायतें पार्टी हाई कमान तक पहुंची हैं। मसला जो भी हो लेकिन आपदा के जिस दौर में धामी को खुद जनता के बीच होना चाहिए था, वो दिल्ली में कुर्सी बचाने के खेल में लगे हुए हैं।
अगले तीन चार महीने के अंदर केदारनाथ सीट पर उपचुनाव होना है, कांग्रेस की केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा लगातार जारी है। कांग्रेस की यह यात्रा हरिद्वार में हर की पौड़ी से शुरू होकर केदारनाथ धाम में जाकर समाप्त होगी । जनता के बीच गिरती प्रतिष्ठा को बचाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास केदारनाथ का उपचुनाव अंतिम अवसर होगा।