शहादत की भूमि सल्ट का खुमाड़ गांव

हिटो हो उठो ददा भुलियो, आज कसम खौंला
हम अपणि जान तक देशो लिजि द्यौंला’’
झन दिया मैसो कुली बेगारा, पाप बगै है छो गंगा की धारा
झन दिया मैसो कुली बेगारा, आब है गयी गांधी अवतारा
सल्टिया वीरों की घर-घर बाता, गोरा अंग्रेजा तू छोड़ि दे राजा’

यानि चलो भाई लोगो उठो, आज हम कसम खाते हैं कि हम देश के लिए अपनी जान तक दे देगें। आप लोग कुली बेगार मत देना,इस पाप को तो अब गंगा की धारा में बहा दिया गया है, अब गांधी ने अवतार ले लिया है। गोरे अंग्रेजों अब तुम यहां अपना राज करना छोड़ दो !!! सल्ट के वीरों की यह ललकार हर घर से उठ रही है।

सल्ट के भारत छोड़ो आन्दोलन में स्थानीय कुमाउनी कवियों नेे देशप्रेम व देशभक्ति का जोश भरने का काम कुछ इस प्रकार किया। 1942 में अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन अपने चरम पर था ,अंग्रेजों के खिलाफ क्षेत्र में बढ़ती बगावत को देखते हुए 5 सितंबर 1942 को हाकिम जौनसन खुमाड़ में पुलिस समेत आ धमके। इसकी खबर पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। जनता अंग्रेजों के खिलाफ लामबंद हो गई। इधर खुमाड़ में जनसभा हो रही थी। जनसभा में अंगेरजो के खिलाफ जबरदस्त भाषण हो रहे थे तभी हाकिम ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भाषण दे रहे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया । पुलिस ने निहत्थे लोगों पर गोली चलाई जिसमें दो भाई खीमानंद और गंगाराम की मौके पर ही मौत हो गई जबकि गोली लगने से घायल हुए बहादुर सिंह व चूणामणी की दो दिन बाद मौत हो गई। उनकी शहादत की याद में हर साल पांच सितंबर को खुमाड़ स्थित शहीद स्मारक पर शहीद दिवस समारोह आयोजित किया जाता है।

इस दिन यहां शासन, प्रशासन, राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि, कार्यकर्ता और आमजन श्रद्धांजलि देने आते हैं। इस बार इलाके के सांसद अजय टम्टा आ रहे हैं, आम तौर पर इस दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री यहाँ शहीदों को श्रद्धांजलि देने आते हैं । महात्मा गांधी ने खुमाड़ को कुमाऊं की वारदोली कहा था।

1921 से सुलगी आंदोलन की चिंगारी

बताया जाता है कि सल्ट क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन की अलख 1921 से ही सुलगने लगी थी। धीरे-धीरे आंदोलन ने व्यापक रूप ले लिया। नतीजतन, सल्ट में ब्रिटिश शासन बेअसर हो गया। यहां बागियों की समानांतर सरकार कायम हो गई। खुमाड़ निवासी पंडित पुरुषोत्तम उपाध्याय और लक्ष्मण सिंह अधिकारी के नेतृत्व में सल्ट क्षेत्र में अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला। 1931 में मोहान के जंगल में बड़ी तादाद में गिरफ्तारियां भी हुईं।

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