हिमालय के वैज्ञानिक पहलुओं पर राहुल गाँधी की समझ ज्यादातर राजनेताओं से कहीं अधिक है: सरस्वती पी सती


सरस्वती पी सती

दिनांक 29 अक्टूबर को प्रोफेसर शेखर पाठक का फोन आया कि श्री राहुल गांधी शीघ्र ही केदारनाथ भ्रमण पर आना चाहते हैं और उनका यह भ्रमण नितांत निजी होना है, श्री गांधी चाहते हैं कि इस दौरान हिमालय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए उनके साथ कोई सक्षम अकादमिक व्यक्ति रहे। उन्होंने मुझे आदेशित किया कि तुम बेबाक अंदाज में बात रखते हो और हम तो चाहते हो हैं कि कोई राजनेता हिमालय के मर्म को समझे। अतः राहुल को तुम ज्वाइन करो। मैने कुलपति जी से विमर्श और उनकी सहमति के पश्चात हामी भर दी। फिर मुझे राहुल जी के कार्यालय से लगातार संपर्क किया जाता रहा और 2 तारीख को मुझे बताया गया कि उनका कार्यक्रम 5 से सात नवंबर का रहेगा।

मैने तदानुसार हामी भरी । इस बीच तीन तारीख देर शाम फोन आया कि कल याने कि चार नवंबर को सुबह देहरादून से चलना है। किसी तरह देर शाम को याने कि लगभग दस बजे रात देहरादून पहुंचा। चार को सुबह सबेरे हम देहरादून से केदार पहुंच गए। राहुल के ऑफिस स्टाफ ने मेरा ठहरने का इंतजाम उनके ही बगल वाले कमरे में कर दिया।राहुल पांच को दोपहर एक बजे केदार पहुचे। इस दिन दुवा सलाम के अलावा कोई बात नहीं हुई ।परंतु पांच तारीख को सुबह से ही राहुल के साथ मुझे संबद्ध कर दिया गया। शख्त हिदायत दी कि कोई भी राजनैतिक व्यक्ति उनके साथ नहीं चलेगा। राहुल लगातार हिमालय, उसके ग्लेशियर, प्राकृतिक गतिविधियों, नदियों, मौसम परिवर्तन,पर मुझसे गंभीर वार्ता करते रहे। बेहद संवेदनशीलता से अपनी जिज्ञासा रखते और उस पर मेरे उत्तर पर अनुपूरक प्रश्न करते।

एक बात मैं यह स्वीकार करता हूं कि हिमालय के वैज्ञानिक पहलुओं पर राहुल की समझ ज्यादातर राजनेताओं से कहीं अधिक है। उनके ज्ञान से में प्रभावित हुआ। मैं अभिभूत तब हुआ जब वे मुझसे शिवत्व पर संवाद करने लगे। शिव पर उनका दर्शन, आध्यात्म पर उनकी समझ देख मुझे आश्चर्य हुआ।कुल मिला कर मुझे राहुल से बात करते हुए इसलिए बहुत अच्छा लगा कि कोई तो है जो नीति नियंता की भूमिका की संभावना होते हुए हमसे हिमालय के मर्म जानना चाहता है।कुछ तो हमारी भड़ास सही व्यक्ति तक पहुंची।

मेरे एक भाजपाई मित्र ने मजाक में कहा कि तुम तो पुनः कांग्रेसी हो गए, मैने उनसे कहा यहां तो तुम गलत हो, हर व्यक्ति का एक अतीत होता है,उसका वर्तमान हो जाना इस केस में तो कमसेकम जरूरी नहीं परंतु हां अगर इसी सिद्दत से मोदी जी कभी हमें बुलाएं और हिमालय पर विस्तृत वार्ता करें तो मैं बिना अपने अतीत के सीधे भाजपाई हो जाऊंगा। सहर्ष। मेरा मित्र जोर से हंसा और कहने लगा न नौ मन तेल होगा और न…..

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