आठ किमी पैदल चलकर अस्पताल पहुँचाया फिर भी नहीं बची खदेरागांव की गोविंदी

राकेश डंडरियाल

मौलेखाल 01 मार्च। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चाहे कितने ही दावे कर लें कि प्रदेश में डॉक्टर्स की कमी नहीं है,बजट की कमी नहीं है, लेकिन हकीकत ये है कि पहाड़ का भला होना मुश्किल है। प्रदेश के पहाड़ी इलाकों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महज रेफेरल सेंटर बनकर रह गए हैं, और उनमें रेफेरल, रेफरल का खेल जारी हैं जो आम गरीब नागरिको पर भारी पढ़ रह है। ऐसा ही एक हादसा मौलेखाल इलाके के खदेरागांव में देखने को मिला है, जहाँ की 70 बर्षीय गोविंदी देवी 26 फरवरी को अपने ही घर में गिरकर घायल हो गईं थीं, रेफेर रेफेर के खेल ने आख़िरकार उसकी जान ले ली।

दरअसल खदेरागांव तक सड़क न होने के कारण परिजन गोविंदी देवी को ग्रामीणों की सहायता से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) देवायल के लिए निकले। आठ किमी की दूरी तय करने के बाद वे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) देवायल पहुंचे और गोविंदी को वहां भर्ती किया, उन्हें क्या पता था कि गंभीर हालत का हवाला देकर डॉक्टरों उन्हें हायर सेंटर के लिए रेफेर कर देंगे , लेकिन आखिर हुआ भी यही, डॉक्टर ने सलाह दी कि इन्हें रामनगर ले जाना पड़ेगा, मजबूर होकर परिजन गोविंदी देवी को रामनगर लेकर पहुंचे, लेकिन रामनगर अस्पताल से भी उन्हें हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी गई , यानि हल्द्वानी , मज़बूरी में परिजन 27 फरवरी को गोविंदी देवी को दिल्ली स्थित उनके बेटे के पास ले गए। जहाँ अस्पताल ले जाने पर गोविंदी की मौत हो गई। दरअसल सीएचसी देवायल में न तो कोई कोई न्यूरो सर्जन ही है और न ही फिजिशियन, जब जिला मेडिकल कॉलेज में ही न्यूरो सर्जन नहीं है तो आप समझ सकते हैं अल्मोड़ा जिले की स्थिति क्या होगी।

गोविंदी के अंत की कथा तो यही समाप्त हो गई, लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर खोले गए देवायल, सराईखेत व देघाट अस्पतालों का हाल भी कमोवेश यही है, न डॉक्टर हैं और न संसाधन हैं, खेला है तो केवल रेफेर रेफेर का। जिले के हालत ये हैं कि अस्पतालों में 23 डॉक्टर ऐसे हैं जो तैनाती लेने के बाद से गायब हैं। इनमे अल्मोड़ा का बेस अस्पताल , सीएचसी देवायल, पीएचसी भैंसियाछाना, सराईखेत, स्याल्दे, जैंती, बसोली, ध्याड़ी, मानिला अस्पतालों के चिकित्सक गायब हैं,ख़ास बात ये कि इनमें विशेषज्ञ डॉक्टर भी शामिल हैं। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज की अगर बात करें तो यहाँ अब भी 150 से अधिक पदों की स्वीकृति नहीं मिल पाई है।

ख़ास बात ये हैं कि प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को भाजपा ने अल्मोड़ा का प्रभारी भी बनाया हुआ है और वे लगभग हर महीने अल्मोड़ा जिले का दौरा भी करते हैं लेकिन चिकित्सा, स्वास्थ्य के बारे में वे कभी चर्चा नहीं करते हैं और न ही उन रेफेरल सेंटर्स यानि सीएचसी सेंटर्स का दौरा करते हैं जहाँ की स्थिति इस प्रकार है ।

 

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