क्या है UKPSC के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रोफेसर जगमोहन सिंह राणा के विरोध का कारण?

सूत्रों के अनुसार कई अधिकारी राणा की प्रशासनिक कड़ाई से परेशान हैं, विरोध का सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है।

राकेश डंडरियाल

हरिद्वार :उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रोफेसर जगमोहन सिंह राणा का कार्यकाल 26 अक्टूबर को समाप्त हो गया है ,लेकिन उन्होंने शुक्रवार को भी अपने हरिद्वार स्थित ऑफिस पहुँचकर कामकाज किया, जिसे लेकर कई मीडिया संस्थानों में खलबली मची है , वे इसे संवैधानिक पद का मज़ाक़ बता रहे हैं । मीडिया ये सवाल उठा रहा है कि जिस व्यक्ति का कार्यकाल ख़त्म हो गया हो वो कैसे आयोग के ऑफिस में अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ सकता है ? उनपर आपराधिक मुक़दमा बनता है। दूसरी तरफ कार्मिक विभाग का कहना है कि संविधान में आयोग में एक्सटेंशन की व्यवस्था का नियम नहीं है,व कार्यवाहक अध्यक्ष के लिए फाइल राजभवन गई है।

क्या कहता है संबिधान के अनुच्छेद 316 (1 ) (1क )

इस बाबत राजसत्ता न्यूज़ ने गहनता से जांच पड़ताल की तो साफ़ हुआ कि भारतीय संबिधान के अनुच्छेद 316 (1 ) (1क ) का कही भी उल्लंघन नहीं हुआ है , दरअसल भारतीय संबिधान के अनुच्छेद 316 के तहत लोक सेवा आयोग के अध्‍यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, यदि वह संघ आयोग या संयुक्त आयोग है तो, राष्ट्रपति द्वारा और, यदि वह राज्य आयोग है तो, राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी।

भारतीय संबिधान के अनुच्छेद 316 (1 ) (1क ) में साफ़ किया गया है कि यदि आयोग के अध्‍यक्ष का पद रिक्त हो जाता है या यदि कोई ऐसा अध्‍यक्ष अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारण से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है तो, यथास्थिति, जब तक रिक्त पद पर खंड (1) के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति उस पद का कर्तव्य भार ग्रहण नहीं कर लेता है या जब तक अध्‍यक्ष अपने कर्तव्यों को फिर से नहीं संभाल लेता है तब तक आयोग के अन्य सदस्यों में से ऐसा एक सदस्य, जिसे संघ आयोग या संयुक्त आयोग की दशा में राष्ट्रपति और राज्य आयोग की दशा में उस राज्य का राज्यपाल इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उन कर्तव्यों का पालन करेगा।

यहाँ एक बात तो साफ़ है कि कार्यवाहक अध्यक्ष प्रोफेसर जगमोहन सिंह राणा तब तक उस पद की जिम्मेवारी नहीं छोड़ सकते जबतक कि राज्यपाल कोई नया सदस्य न नियुक्त कर लें, या नई अधिसूचना न जारी कर लें । सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के कई सदस्य व कर्मचारी भी इस मुहीम में जुटे है कि किस तरह से राणा को बाहर का रास्ता दिखाया जाय। प्रोफेसर जगमोहन सिंह राणा ने जून 2023 में पद सँभालते ही , अधिकारियों व कर्मचारियों पर सिकंजा कसना शुरू कर दिया था , जिस कारण कई अधिकारी व कर्मचारी उनके खिलाफ मुहीम में जुटे हुए है। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि जिस दिन से राणा यहाँ आए हैं,और जबसे उन्होंने काम करना शुरू किया तब से ही कामचोर अधिकारी उनसे परेशान हैं, उन्होंने सभी को टारगेट दिया है और जो उसे समय पर पूरा नहीं करता, उसकी खैर नहीं, इसलिए राणा उनके टारगेट पर हैं, आज जब वे अपने घर के लिए निकले तो उनके पीछे वो लॉबी सक्रिय हो गई जो आयोग को निठल्ला बनाना चाहती है।

राजसत्ता न्यूज़ ने इस बारे में प्रोफेसर जगमोहन सिंह राणा से जानकारी ली तो उनका कहना था कि जब तक उन्हें कार्मिक विभाग या माननीय राज्यपाल की ओर से लिखित निर्देश नहीं मिल जाते वे तब तक वे अपनी जिम्मेवारियों का निर्वाहन करते रहेंगे।

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