उत्तराखंड भू-कानून बिल पर विधानसभा ने लगाई अपनी मुहर

उत्तराखंड भू-कानून बिल विधानसभा में पास

देहरादून 21 फरवरी। उत्तराखंड विधानसभा में आख़िरकार उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम व्यवस्था-1950) (सशक्त भू-कानून) के विधेयक को मंजूरी दे दी है। हालाँकि नए भू-कानून बिल से अब भी पहाड़ की जनता अपने के ठगा सा महसूस कर रही है जबकि सरकार कह रही है कि नए कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी और पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा। इससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा। भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी। सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।

प्रदेश के पहाड़ी जिलों में सशक्त भू-कानून को लेकर लगातार धरने और प्रदर्शन चल रही थे। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लोगों की जनभावनाओं के देखते हुए वर्ष 2022 में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने पांच सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति ने सशक्त भू-काननू को लेकर 23 सिफारिशें की थीं। सरकार ने समिति की रिपोर्ट और संस्तुतियों के अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय प्रवर समिति का गठन भी किया था। इससे पहले कृषि और उद्यानिकी के लिए भूमि खरीद की अनुमति देने से पहले खरीदार और विक्रेता का सत्यापन करने के निर्देश भी दिए थे।

बिल में नए प्रावधान
इसमें 2018 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के 12.50 एकड़ से अधिक भूमि खरीद के प्रावधान को भी समाप्त कर दिया।

इस कानून के लागू होने के बाद राज्य से बाहर के लोग हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले को छोड़ बाकी 11 जिलों में कृषि और बागवानी की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।

भूमि खरीद की अनुमति में जिलाधिकारी के अधिकार को सीमित कर दिया है। अब जिलाधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति देने का अधिकार नहीं होगा। भूमि खरीद की अनुमति अब शासन ही देगा।

सभी मामलों में सरकार के बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

राज्य के बाहर के लोगों को घर बनाने के लिए निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने की अनुमति होगी, लेकिन एक परिवार का एक सदस्य जीवन में एक बार ही भूमि खरीद सकेगा।

भूमि खरीद के समय यह शपथपत्र देना अनिवार्य होगा कि उसके या उसके परिवार के किसी भी सदस्य ने भूमि नहीं खरीदी है। नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।

विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।

कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन तभी संभव होगा, जबकि सरकार इसकी अनुमति देगी।

कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करने वालों पर हो सकेगी कड़ी कार्रवाई।

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