वनमंत्री सुबोध उनियाल के खिलाफ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़,व मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र
देहरादून 03 जनवरी। प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा विधायक राम सिंह कैड़ा के बीच बातचीत का एक ऑडियो हाल ही में सामने आया था । वायरल ऑडियो में भीमताल के विधायक राम सिंह कैड़ा ने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों द्वारा मचाए गए उत्पात व खतरे और उसके बाद की तबाही के संबंध में वन मंत्री सुबोध उनियाल को फोन किया था। जिसमे वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में तीसरी मौत के बारे में मंत्री से मदद की गुहार लगाते हुए सुनाई दे रहे हैं।
वायरल ऑडियो में बातचीत के दौरान दोनों मंत्री और विधायक के फोन स्पीकर पर थे और विधायक राम सिंह कैड़ा के आसपास एकत्रित स्थानीय लोग उनकी बात जोर से और स्पष्ट रूप से सुन सकते थे। मंत्री ने विधायक को सलाह देने के बजाय जंगली जानवरों को नहीं मारने को लेकर माननीय उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया और उच्च न्यायालय के लिए बेहद अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी की। इसी टिपण्णी को लेकर कांग्रेस नाराज है।
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि अगर प्रदेश के मंत्रियों का माननीय हाई कोर्ट के जजों के प्रति ये रवैया है तो साधारण लोगों के खिलाफ क्या हो सकता ह। उन्होंने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़,रजिस्ट्रार व उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर मंत्री के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करने की अपील की है। उन्होंने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को लिखा है कि आप इस मामले का स्वतः संज्ञान लें क्योंकि इस तरह के बयान देश की संवैधानिक अदालतों की महिमा और कानून के शासन को प्रभावित करता है। क्या मैं आपसे यह भी अनुरोध कर सकती हूं कि कृपया डीजीपी को उस उपकरण को संरक्षित करने और जब्त करने का निर्देश दें जिससे वीडियो रिकॉर्ड किया गया है और मंत्री के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
उन्होंने कहा कि मेरी चिंता यह है कि अगर इस मामले को शुरू में ही नहीं रोका गया तो मंत्री का दुस्साहस दूसरों के लिए एक उदाहरण बन जाएगा और यह चल रही प्रक्रिया के साथ-साथ हमारे स्वतंत्र संस्थानों के लिए भी एक लिटमस टेस्ट साबित होगा। इसलिए हमारी न्यायपालिका की पवित्रता और सम्मान को बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप उपरोक्त घटना पर कार्रवाई करें अन्यथा कोई नहीं करेगा और अदालत की ऐसी खुली अवमानना को दबा दिया जाएगा।