सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की एक विधवा महिला को 1 करोड़ रुपये देने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की आलोचना की

डॉक्टर की विधवा को 1 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश

नई दिल्ली 25 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में उत्तराखंड सरकार को एक विधवा महिला को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। मामला साल 2016 का है जिसमे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काम करते समय मारे गए एक सरकारी डॉक्टर का है , विगत 9 सालों से सरकार ने मृतक डॉक्टर की विधवा पत्नी को मुआवजा नहीं दिया था । इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को 1 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है।

जानिए क्या है पूरा मामला।

सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने यह मामला सुनाया है। इसमें उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा दायर की गई याचिका में आदेश पारित किया गया है। घटना साल 2016 में हुई थी। तब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर की काम के दौरान मौत हो गई थी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड राज्य के मुख्य सचिव ने मई 2016 में मुख्यमंत्री को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, यह रुपये अब तक नहीं दिए गए हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि परिवार 9 साल से अधिक समय से मुकदमा लड़ रहा है। मगर स्वीकृत पैसे को परिवार द्वारा अनुरोध किए जाने के बावजूद अब तक स्वीकारा नहीं गया। वजह ये बताई गई कि उस राशि को जारी करने की मंजूरी नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए राशि को मंजूर किया जाना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने ब्याज सहित पैसे जारी करने का निर्देश दिया है। इस प्रकार 9 सालों का ब्याज जोड़ते हुए कुल रकम 1 करोड़ रुपये हुई है।

राज्य सरकार का तर्क

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया कि मृत डॉक्टर के परिवार को पहले ही छुट्टी नकदीकरण, भविष्य निधि (GPF), पारिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी और समूह बीमा (GIS) जैसे लाभ दिए जा चुके हैं। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के 18 अक्टूबर 2021 के एक अंतरिम आदेश के अनुपालन में, मृतक डॉक्टर के पुत्र को स्वास्थ्य विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया था। सरकार ने यह भी कहा कि पहले दिए गए निर्देशों के तहत 10 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय द्वारा मुआवजे की गणना में “मल्टीप्लायर मेथड” के उपयोग पर भी आपत्ति जताई और इसे अव्यवहारिक बताया। मृतक डॉक्टर के परिवार ने तर्क दिया कि यदि 2016 में ही वादा किया गया मुआवजा मिल गया होता, तो उन्हें वर्षों तक मुकदमेबाजी में नहीं फंसना पड़ता।

परिवार को पहले ही 11 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है, इसलिए कोर्ट ने शेष 89 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *