22 के 22 फेल : उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता धन सिंह मॉडल

राकेश चंद्र

विकासनगर (देहरादून)। प्रदेश की राजधानी देहरादून से शिक्षा का एक सनसनीखेज मॉडल सामने आया है , जहाँ अध्यापकों की कमी के कारण राजकीय इंटर कॉलेज मेदनीपुर, बद्रीपुर में 12वीं की पूरी की पूरी कक्षा ही फेल हो गई। ये हाल तो प्रदेश के जिले देहरादून का है, आप सोच सकते हैं प्रदेश के स्कूलों का क्या हाल होगा। शिक्षा विभाग का मुखिया मंत्री चार – चार देशों की यात्रा पर जाता है, करोड़ों खर्च करके ये मॉडल लाता है।

बात राजकीय इंटर कॉलेज मेदनीपुर, बद्रीपुर में बारहवीं कक्षा की, यहाँ 22 छात्र- छात्राओं ने इस साल 12वीं का पेपर दिया , जिनमें से एक भी बच्चा पास नहीं हुआ, और 12वीं का परिणाम शून्य रहने की जानकारी जब विभाग तक पहुंची तो अफसर सकते में आ गए। विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि यहां 12वीं में केवल पीसीएम विषय है।

ये सबकुछ ऐसे ही नहीं हुआ छात्रों के पास अन्य विषय का विकल्प ही नहीं था जिस कारण छात्रों मजबूरी में पीसीएम लेना पड़ा। छात्रों के फेल होने का यही कारण है। ये सभी छात्र कला विषय के इच्छुक थे, आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर मजबूरी में इन्हें यहीं दाखिला लेना पड़ा। वहीं छात्र संख्या शून्य न रहे इसलिए स्कूल ने भी इन्हें दाखिला दे दिया। वहीं, 10वीं कक्षा के बाद करीब 100 छात्र-छात्राएं अन्य विद्यालयों में अन्य विषयों की पढ़ाई करने चले गए थे।

2016 से हो रही कला विषय की मांग

विद्यालय प्रबंधन के मुताबिक वर्ष 2016 से लगातार कला विषयों के संचालन की मांग की जा रही है, लेकिन विषयों का संचालन को आज तक मंजूरी नहीं मिली। बताया कि अगर इन विषयों का संचालन होता तो परिणाम शून्य नहीं रहता। ब्लॉक में केवल यही एक विद्यालय है जहां इन विषयों का संचालन नहीं हो रहा है।

कुछ यही हाल है अल्मोड़ा के कोटाचामी इंटर कॉलेज का भी है

अल्मोड़ा जिले के सल्ट ब्लॉक स्थित कोटाचामी के राजकीय इंटर कॉलेज का भी यही हाल है, यहाँ के 15 छात्रों ने स्कूल महज इसलिए छोड़ दिया क्योंकि 11वीं और 12वीं में गणित विषय ही नहीं हैं कोई विकल्प न होने के कारण छात्रों को मजबूरी में बायोलॉजी लेनी पड़ती है या फिर दूसरे स्कूल जाना पड़ता है ।

पौड़ी जिले के दूरस्त इलाके के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवीखाल का (बीरोंखाल ) का भी हाल कमोवेश यही है।

प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का हाल ये हैं कि पूरा प्रदेश 67,764 अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है। जिस प्रदेश के 1149 प्राथमिक स्कूलों में एक भी शिक्षक न हो तो हालात की गंभीरता को समझा जा सकता है। 3504 विद्यालय ऐसे हैं जहाँ छात्रों को पढ़ाने के लिए मात्र एक अध्यापक तैनात हैं।

दूसरी तरफ प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत हैं कि उनके पांव देहरादून में टिकते ही नहीं हैं , वे इसी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 11 मार्च को शिक्षा अधिकारियों के साथ यूरोपीय देशों की यात्रा पर गए थे, तो क्या वो फिनलैंड और स्विट्जरलैंड और सिंगापुर से उत्तराखंड के लिए यही शिक्षा मॉडल लाये हैं ? अपने सिंगापुर दौरे के दौरान शिक्षा मंत्री ने बताया था कि वे यहाँ दुनिया के बेहतरीन शिक्षा मॉडल को उत्तराखंड लाने वाले हैं तो क्या यही है उत्तराखंड शिक्षा का धन धनाता मॉडल ?

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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