स्मार्ट सिटी के नाम पर देहरादून से छलावा : गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून। धर्मपुर से भाजपा विधायक एवं नगर निगम देहरादून में दो बार के महापौर रह चुके विनोद चमोली द्वारा स्मार्ट सिटी को लेकर किए गए सनसनी खेज़ खुलासे पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दसौनी ने कहा की वैसे तो स्मार्ट सिटी के कार्य 2018 से गतिमान है, लेकिन विनोद चमोली ने खुलासा आज 6 साल बाद क्यों किया यह अपने आप में प्रश्न चिन्ह है।

उन्होंने कहा कि भाजपा में अपनी ही सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी पर सवाल खड़े करने के लिए साहस चाहिए होता है जो विनोद चमोली ने दिखाया है, परंतु सवाल बड़ा यह उठता है कि इतने साल बाद जब आधे से ज्यादा निर्माण कार्य हो चुके हैं और इतना पैसा पानी की तरह बह चुका है उसके बाद ही विनोद चमोली ने अपना मुंह क्यों खोला ? दसौनी ने कहा कि अपने विनोद चमोली ने कई चौंकाने वाली बातों का खुलासा किया है, जैसे उन्होंने कहा है कि वह स्मार्ट सिटी के कार्यों का जब-जब विरोध करना चाहते थे तब तब शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने उन्हें रोक दिया, उन्होंने यह भी कहा कि 2017 में जो डीपीआर तैयार की गई थी और जो मॉडल स्मार्ट सिटी देहरादून का बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था, आज देहरादून की स्मार्ट सिटी उस तर्ज पर ना बनकर कुछ और ही बन रही है।

उन्होंने पूरे स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की भी बात स्वीकार की है। दसोनी ने कहा कि जब सत्ता रूढ़ दल का ही विधायक अपनी सरकार पर और मोदी जी के पायलट प्रोजेक्ट पर इतने बड़े सवाल उठा रहा हो तो उस से विपक्ष के आरोपो की पुष्टि होती है। आखिर उत्तराखंड की जनता को पता तो लगना ही चाहिए कि कौन वह नेता और अधिकारी हैं जो उत्तराखंड को दीमक की तरह चाटने का काम कर रहे हैं और जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगाने का काम किया है।

दसोनी ने कहा हमारे राज्य में पहले ही सिर्फ एक शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चिन्हित किया गया बल्कि कई राज्यों को दो से तीन स्मार्ट सिटीज की सौगात मिली परंतु डबल इंजन और प्रचंड बहुमत की सरकार के लिए यह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट गले की हड्डी बन गया है। निर्माण कार्यों ने देहरादून वासियों का जीवन नर्क बना रखा है और आज जब इसमें भ्रष्टाचार का खुलासा स्वयं भाजपा की विधायक के द्वारा किया जा रहा हो तो इसकी सीधे पीएमओ से जांच करवाई जानी चाहिए।

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